For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

नमस्कार आदरणीय मित्रों !

 

आप सभी का हार्दिक स्वागत है ! 

जिन्दगी इंसान से क्या-क्या नहीं कराती....प्रस्तुत चित्र में जरा इन साहब को देखिये तो ......मोटर साईकिल पर बैठ कर इस मौत के कुँए में किस कदर बेहद खतरनाक करतब दिखा रहे हैं , गौरतलब तो यह है की जब यह मोटर साईकिल इस कुँए के ऊपरी हिस्से की धार से सटकर तेजी से भागती है तो देखने वालों के रोंगटे तक खड़े हो जाते हैं..... केवल यही नहीं हमने तो ऐसे कुँए में दो-दो मोटर साइकिलों व एक  मारुति कार को एक साथ दौड़ते हुए देखा है उसे भी मारुति का चालक कर का गेट खोलकर बाहर निकले-निकले खड़े होकर ड्राइव करता है...यानि कि जरा भी चूके तो सीधी मौत ही और कुछ नहीं ........एक दूजे के प्रति समर्पण के साथ-साथ इनमें समय व रफ़्तार का सामंजस्य देखते ही बनता है.....ठीक ऐसा ही आपसी सामंजस्य यदि हम अपने-अपने कार्य-क्षेत्र में अपने सहकर्मियों के साथ बिठा लें तो जिन्दगी ही बोल उठे ........

इस बार सर्वसहमति से  'चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक -८' हेतु आदरणीय गणेश जी बागी द्वारा ऐसे चित्र का चयन किया है जिसमें स्पष्ट रूप से यही परिलक्षित हो रहा है कि..............

कुआँ मौत का जिन्दगी, खतरों का है खेल..

इसमें खुद को साधिये ,  पार लगाये मेल..

आइये तो उठा लें आज अपनी-अपनी कलम, और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण !  और हाँ आप किसी भी विधा में इस चित्र का चित्रण करने के लिए स्वतंत्र हैं ......

नोट :-

(1) १७ तारीख तक रिप्लाई बॉक्स बंद रहेगा, १८  से २० तारीख तक के लिए Reply Box रचना और टिप्पणी पोस्ट करने हेतु खुला रहेगा |


 (2) जो साहित्यकार अपनी रचना को प्रतियोगिता से अलग  रहते हुए पोस्ट करना चाहे उनका भी स्वागत हैअपनी रचना को"प्रतियोगिता से अलग" टिप्पणी के साथ पोस्ट करने की कृपा करे 


(3) नियमानुसार "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक- के प्रथम व द्वितीय स्थान के विजेता श्री अविनाश बागडे जी व श्रीमती सिया सचदेव जी इस अंक के निर्णायक होंगे और उनकी रचनायें स्वतः प्रतियोगिता से बाहर रहेगी |  प्रथम, द्वितीय के साथ-साथ तृतीय विजेता का भी चयन किया जायेगा | 


सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो, रचना पद्य की किसी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है | हमेशा की तरह यहाँ भी ओ बी ओ  के आधार नियम लागू रहेंगे तथा केवल अप्रकाशित एवं मौलिक रचना ही स्वीकार की जायेगी  |

 

विशेष :-यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें


अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता  अंक--८, दिनांक  १८ अक्टूबर से २० नवम्बर की मध्य रात्रि १२ बजे तक तीन दिनों तक चलेगी, जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य   अधिकतम तीन पोस्ट ही दी जा सकेंगी,, साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि  नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |


मंच संचालक: अम्बरीष श्रीवास्तव


Views: 13899

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

ओ बी ओ की खाद,  बड़ी लगती गुणकारी !
दे कवित्व की पौध, खाद की महिमा न्यारी !  हा हा हा हा हा हा :--))))

बाल गिरना भी बंद करे   ओबीओ खाद !!! .. :-))))

 

वाह ! संजय...बहुत खूब...

''हिम्मत बहता है सदा, संग रुधिर बन होश ।

हिम मत बनने दे कभी, दह्काया रख जोश ।4।''

 

सादर आभार आदरणीय शन्नो दी...

नेह बना रहे...

जय हो ! जय ओ बी ओ !

अपने हाथों भाग है, ले संवार तू भाग ।

बैठे भाग न जागता, भाग जगाने भाग  ।।

 

मंजिल नज़रों में सदा, सदा रहे स्पष्ट ।

बड़ा  स्व-विश्वास करे, छोटे सारे कष्ट ||

 

संजय भाई, सभी दोहे एक पर एक रचे है, अंतिम दो दोहों पर विशेष बधाई स्वीकार करे |

सादर आभार आदरणीय बागी भाई....

खाद की नयी खेप भी मिल गयी है.... अब तो इसके परभाव से उपज और भी बढ़ ही न जाएगा... )))

जय ओ बी ओ/// जय गिरधारी///

 

हिम्मत बहता है सदा, संग रुधिर बन होश ।

हिम मत बनने दे कभी, दह्काया रख जोश ।

आहा !! अमूल्य निधि, संजय भाई आपने इन दोहों में क्या भर दिया है शायद आप भी नहीं जानते, क्या खुबसूरत दोहे बन पड़े है, एक एक दोहा ह्रदय के अन्दर तक प्रवेश करते है, बहुत ही खुबसूरत सन्देश |

 

बार बार दोहराने को जी चाहता है, बहुत बहुत बधाई इस अभिव्यक्ति पर |

बहुत ही उत्साहवर्धक टिपण्णी

//ये दुनिया इक कूप है, जीवन मृत्यु खेल । 

जीव न मृत्यु सोच तू, जब तक जीवन खेल ।1।//

हरेक डर औ खौफ को, पीछे करो धकेल,  

भटके ना ये जिंदगी, कस से पकड़ नकेल !

 

//खुद की ताकत पर सदा, इस जीवन को साध ।

पाँव चलेंगे गगन में, जीवन भर निर्बाध. ।2।//

बन जाए विश्वास जो, कभी जुनून अगाध

अपने जीवन के लिए, बन जाता अपराध  !

 

//जीवन पथ में जो डरा, जीवन देत गंवाय ।

जीवन रीता ही रहे, जीव न कछु उपजाय ।3।//

बुद्धि से और विवेक से, ऐसा करो उपाय 

मौत फासले पे रहे, जान जाय ना पाय

 

//हिम्मत बहता है सदा, संग रुधिर बन होश ।

हिम मत बनने दे कभी, दह्काया रख जोश ।4।//

खुशियों से है भर दिया, सबका ही आगोश 

अलंकार ये देख के, मन माना संतोष !

 

//कदम कदम तकलीफ है, कदम कदम पे खार ।

कद मत छोटा आस का, एकदम कर तू यार ।5।//

हर इक दुख तकलीफ का,हिम्मत ही उपचार 

जिसको मंजिल चाहिए, माने ना वो हार !

 

 //अपने हाथों भाग है, ले संवार तू भाग ।

बैठे भाग न जागता, भाग जगाने भाग  ।6।//

खूनी लहरों में कहीं, छुपा तुम्हारा भाग ! 

चल उठ बढ़ इंसान तू ,जीत कालिया नाग

 

मंजिल नज़रों में सदा, सदा रहे स्पष्ट ।

बड़ा  स्व-विश्वास करे, छोटे सारे कष्ट ।7।

//अपने हाथों से करे, दुश्मन सारे नष्ट,

हिम्मत से आगे बढे, बिना हुए पथ भ्रष्ट !//
 

सादर करूँ प्रणाम मैं, नित-नित ’योगीराज’ !

भाव मनन में आपका, बहुत खूब अंदाज !!! ...

 

निम्नलिखित प्रतिक्रिया-दोहे पर मेरी लख-लख बधाइयाँ स्वीकारें जी --

खूनी लहरों में कहीं, छुपा तिहारा भाग ! 

चल उठ बढ़ इंसान तू, जीत कालिया नाग

 

बहुत डूब कर निखर आये हैं भाव !

सादर

बहुत ही उत्साहवर्धक टिपण्णी

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
yesterday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service