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तेरी प्यारी सी सूरत 

ममता की मूरत 

तेरी आँखों से झरती करुणा

स्नेह का झरना

माँ! तेरी आँखों से झरती वो करुणा,

कब, मेरे अन्दर रिस गई,

मैं नहीं जान पाई?


बचपन में जब मैनें गीले किये, कपड़े तेरे

तू हर्षाई

पहली बार दो कदम चली मैं

तू मुस्कुराई

माँ! तेरी वो मुस्कुराहट,

कब मेरी आँखों में उतर गईं,

मैं नहीं जान पाई?


मेरी बीमारी में छोड़ी ना तूने पलंग की पाटी

कई रातें गुज़ार दीं उसे तकिया बनाकर,

कई मन्नते मांगीं, कई प्रार्थनाएँ कीं,

तेरी उम्र मुझे लग जाने की,

और माँ! तेरी ममता की जीत हुई, मौत हार गई

छोड़नी पड़ी मेरी अंगुली उसे

माँ! तेरी वो प्रार्थनाएँ कब मेरी सांसों में घुलीं,

मैं नहीं जान पाई?


कई विकट परिस्थितियों ने, जब मुझे तोड़ा,

कई अपनों ने व्यंग्य बाण छोड़ा, तब,

तब, बनकर मेरी ढाल, तूने, सहे सभी प्रहार

तेरा वो मुझे गले लगाना, भगवान का रूप दिखाना,

माँ! तेरा वो रूप कब मेरे अन्दर उतर गया,

मैं नहीं जान पाई?

 

आज मैं भी माँ बनी हूँ,

विरासत में मिले तेरे वो संस्कार

में भी निभा सकूं

मेरे बच्चे भी उन्हें सोखलें, सहेज लें

बस यही आशीर्वाद चाहती हूँ,

आशीर्वाद में उठे तेरे वो हाथ,

माँ! कब मेरे जीवन की धरोहर बन गये,

मैं नहीं जान पाई?


माँ! तेरी ममता को प्रणाम

यह निःशब्द यात्रा ममता की

युगों तक चलती रहे,

यह अटल आस्था ममता की

युगों तक बनी रहे,

जब तक इस दुनियाँ में माँ , तू ज़िन्दा रहे ।


  • मोहिनी चोरडिया 

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Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 24, 2011 at 4:21pm

मोहिनी जी, माँ जितना हमारे लिए करती है उसका मोल हम कभी नहीं चुका सकते, माँ खुद दर्द सह लेती है पर बच्चो पर आंच भी आने नहीं देती, नहुत ही भावनात्मक रचना रची है आप, बधाई स्वीकार करे | 

Comment by आशीष यादव on September 23, 2011 at 3:50pm

माँ का स्वरुप कितना प्यारा होता है| कितने दुखों को वो ऐसे सहती है जैसे उसमे उसे अपर सुख मिलता है| आपने माँ की कई बातों का जिक्र किया की कब माँ क्या-२ करती है अपने बच्चों के लिए|

सच में माँ महान नहीं बहुत महान होती है| 

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