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फिर प्रारम्भ होगा सृष्टिचक्र

 

 पुरुष !
विवाह रचाओगे ?
पति कहलाना चाहोगे?
पत्नी को प्रताड़ित करना छोड़ ,
अच्छे जीवन साथी बन पाओगे?

मेरी ममता तो जन्मों की भूखी है ,
बच्चों के लिए बिलखती है,
सृष्टि-चक्र, मेरे ही दम पर है  ,यह कहते हो , 
फिर भी दुत्कारी जाती है ?

इतिहास के हर यक्ष-प्रश्न का जवाब 
में देती आई हूँ 
(यक्ष को भी जन्म मैनें ही  दिया था )
लेकिन ,लेकिन इस बार प्रश्न मेरे होंगे |

पुरषों ,महापुरुषों को जन्म देने वाली औरत ,
 अन्य पुरुषों से ही नहीं ,अपने ही पति से 
बलात्कार और तन्हाइयों का शिकार 
क्यों होती है ?

ये निर्माणीतान  रुक जायेगी 
विध्वंस का राग छिडेगा ,यदि 
किसी मासूम का गला,
इस दुनियाँ में आने से पहले ही 
घुट जाएगा ,या बिलखती मासूम बाहों का 
सहारा छिन जाएगा |

मेरे विशेषण तो हर युग में बदले हैं ,
पुरुष के अहंकार ने कभी कुलटा तो कभी दुष्टा कहा,
 मातृत्व सुख की चाह जगाकर ,
भीड़ में कहीं खो गया |

आज फिर तुमने ,उसी पुरानी  ममता 
और मातृत्व सुख का लालच देकर 
मुझे रिझाना चाहा है ,लेकिन पुरुष !
मेरी जड़ता को ,मेरी ऋजुता को 
अब मैनें पीछे की सीट पर बैठा दिया है, और
मैं जाग्रत होकर अपने जीवन की गाड़ी 
स्वयं चलाने लगी हूँ |

हो सकता है मेरा ये बर्ताव ,तुम्हें 
मेरी वक्रता  लगे ,लेकिन पुरुष !
मेरा वादा रहेगा 
जिस दिन तुम्हारा अहंकार पिघल जाए 
मुझे याद करना 
प्रथम पुरुष मनु और प्रथम स्त्री इडा की तरह 
हम अच्छे साथी बनकर 
नयी सृष्टि की शुरुआत करेंगे | 

मोहिनी चोरडिया 
  

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 18, 2011 at 5:57pm
मेरा वादा रहेगा 
जिस दिन तुम्हारा अहंकार पिघल जाए 
मुझे याद करना 
प्रथम पुरुष मनु और प्रथम स्त्री इडा की तरह 
हम अच्छे साथी बनकर 
नयी सृष्टि की शुरुआत करेंगे |
मोहिनी जी आपकी रचनाएँ मन पर एक गहरी लीक छोड़ जाया करती है, यह रचना भी उससे इत्तर नहीं है, बहुत ही खुबसूरत भावाभियक्ति , बधाई स्वीकार करें | 

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