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शर्मिन्दगी - लघु कथा

शर्मिन्दगी ....

"मैने कहा, सुनती हो ।"रामधन ने अपनी पत्नी को आवाज देते हुए कहा ।

"क्या हुआ, कुछ कहो तो सही ।"

"अरे होना क्या है । अपने पड़ोसी रावत जी की बेटी संजना ने अपने ब्वाय फ्रेंड के साथ भाग कर कोर्ट मैरिज करके इस उम्र में अपने माँ-बाप को शर्मसार कर दिया ।बेचारे! अच्छा हुआ, अपनी कोई बेटी नही केवल एक बेटा राहुल है ।" रामधन ने कहा।

इतने में डोर बेल बजी टननन ।

"कौन? " रामधन जी दरवाजे खोलते हुए बोले ।

" रामधन जी, अपने संस्कारवान बेटे को संभालो ।चौराहे पर पुलिस उसे स्कूल जाती लड़कियों को छेड़ने के जुर्म में थाने ले जा रही है ।" उनके पड़ोसी रावत जी दरवाजेपर खड़े थे ।

आज रामधन जी रावत जी से कहीं अधिक शर्मिन्दा थे ।राहुल ने आज उनकी सोच को घायल कर दिया । समाज में लड़के भी माँ -बाप की शर्मिन्दगी का कारण बनते हैं । लड़कियों से कहीं अधिक लड़कों पर नजर रखनी चाहिए । यदि लड़कों को स्त्री जाति का सम्मान करना सिखाया जाय तो शायद लड़के या लड़की के माँ-बाप को समाज में कभी शर्मिन्दा न होना पड़ा ।

सुशील सरना /15-1-25

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment by Sushil Sarna on Tuesday

आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 14, 2025 at 5:36pm

आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी प्रस्तुति आज की एक अत्यंत विषम परिस्थिति को समक्ष ला रही है. प्रयास हेतु हार्दिक धन्यवाद. 

वस्तुतः, लघुकथाओं का विधान ही यही है कि ये पाठकों को किसी काल-विशेष या क्षण की किसी घटना से, अंतर्निहित विसंगतियों से, चामत्कारिक पहलुओं से सूचित तो करती हैं, परंतु, पाठकों को उस घटना के आधार पर कोई शिक्षा या बोध नहीं देतीं. इन अर्थों में रचना अपने दोनों मुख्य पात्रो के वार्तालाप से प्रारम्भ हो कर उसी के साथ समाप्त हो जानी थी. आगे, पाठक स्वयं अपने लिए अर्थ निकाल लेता है. 

शुभ-शुभ

Comment by Sushil Sarna on February 5, 2025 at 9:01pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 5, 2025 at 2:45pm

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by Sushil Sarna on February 2, 2025 at 5:04pm
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय
Comment by Shyam Narain Verma on February 1, 2025 at 9:35pm
नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर

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