For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

  

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ चौवनवाँ आयोजन है.   

 

इस बार के आयोजन के लिए सहभागियों के अनुरोध पर अभी तक आम हो चले चलन से इतर रचना-कर्म हेतु एक विशेष छंद साझा किया जा रहा है। 

इस बार के दो छंद हैं -  कुकुभ छंद   

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

23 मार्च’ 24 दिन शनिवार से

24 मार्च’ 24 दिन रविवार तक

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

कुकुभ छंद के मूलभूत नियमों के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती हैं.

*********************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ -

23 मार्च’ 24 दिन शनिवार से 24 मार्च’ 24 दिन रविवार तक  रचनाएँ तथा टिप्पणियाँ प्रस्तुत की जा सकती हैं। 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें. 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. 
  8. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  9. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम  

Views: 233

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

स्वागतम

कुकुभ छंद

पूरब हो या उत्तर दक्षिण, क्रिकेट के सब दीवाने ।
जलते रहते अभी धूप में, आठ देश हैं परवाने ।।
क्रिकेट भारत बड़ा खेल है, सभी जगह खेला जाता ।
यथा काश्मीर कन्याकुमारी, सब लोगों को यह भाता ।।

सामन्त कभी खेला करते, सम्प्रति रंक रिझाता है ।
बच्चों से बूढ़ो तक इसमे, मजा खूब आ जाता है ।।

काम छोड़ कर फेरी वाला, मन ..को खेल.. रमाता है ।
चाहे हो कुछ देर सही पर, दिल तो खुश कर पाता है ।।

मौलिक व अप्रकाशित

 आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, प्रदत्त चित्र पर सुन्दर छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. फिर भी द्वितीय छंद कुकुभ न होकर ताटंक हो गया है. सादर 

आदरणीय चेतन प्रकाश जी, 

आपके दोनों छंदों का स्वागत है। किंतु, दूसरा छंद कुकुभ छंद में निबद्ध नहीं हो सका है। 

हार्दिक बधाइयाँ 

कुकुभ छंद

खेल जगत के देख रहा हूँ, जाने कौन रचे माया ।
दाँव लगा हो हर पल जैसे, श्रमजल से लथपथ काया ।।
कर्म भाग्य से लड़कर कोई, गर्वित हो इतराता है ।
लेकिन हाथ किसी का हरदम, रीता ही रह जाता है ।।

जीवन सरिता एक सभी की, भला कहाँ हो सकती है ।
चाह मनुज की जो भी होती, दृष्टि वही बस तकती है ।।
खेल भाव से देखे कोई, कोई समय बिताता है ।
व्यर्थ समय को खोने वाला, रीता ही रह जाता है ।।

मैं इक छोटा सा व्यापारी, सर पर बोझ रखे सारा ।
आमदनी की भाग दौड़ में, जीती बाजी भी हारा ।।
कभी बदलते यहाँ खिलाड़ी, फिर हर खेल रिझाता है ।
दर्शक बदले, मन मेरा बस, रीता ही रह जाता है ।।

एक इशारा निर्णायक का, हर धड़कन पर भारी है ।
जितनी है कंदुक की सीमा, खेल वहाँ तक जारी है ।।
राजा हो या रंक यहाँ पर, कौन सदा रह पाता है ।
अहंकार में जीने वाला, रीता ही रह जाता है।।

जब तक खेल चलेगा तब तक, मेरा यहाँ ठिकाना है ।
यहीं नए कुछ साथी बनते, बिछड़ सभी को जाना है ।।
मेरा कद छोटा है तुमसे, मगर प्रेम का नाता है ।
भरम बड़प्पन का जो पाले, रीता ही रह जाता है ।।

********************************

मौलिक व अप्रकाशित

कर्म भाग्य से लड़कर कोई, गर्वित हो इतराता है।
लेकिन हाथ किसी का हरदम, रीता ही रह जाता है।।.... चित्र के भावों को बहुत खूबसूरती से आपने इस छंद में उकेरा है. 

आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी सादर, आपने प्रदत्त चित्र पर सभी छंद बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचे हैं. हार्दिक बधाई स्वीकारें. फिर भी आपकी प्रस्तुति के अंतिम तीन छंद कुकुभ न होकर ताटंक हो गए हैं. सादर 

आपको सादर प्रणाम आदरणीय रक्ताले जी। आपने प्रोत्साहित किया इस हेतु आभार। आपका कथन उचित है छंद पर अब यह ध्यान रखना होगा।

वाह वाह वाह .. अत्युत्तम शाब्दिकता मोहित कर रही है। हार्दिक बधाइयाँ .. 

शैल्पिक दृष्टि से भी छंद-रचनाओं को निबद्ध करना होता है। लावणी, कुकुभ और ताटंक छंद एक ही परिवार के छंद हैं। अतः इन पर होता काव्य-कर्म के क्रम में शचेत रहना आवश्यक है। 

बहरहाल, आपकी प्रतिभा एवं आपके रचनाकर्म के प्रति साधुवाद 

हार्दिक शुभकामनाएँ 

 

कुकुभ छंद 

____

लेकर दबी कुछ लालसाएँ, खेल को वो ताकता है।

दे पेट बैरी का हवाला,बोझ सिर का डाँटता है।।
सामान सारा बेचना है, चल निकल क्यों तू खड़ा है।
 जिद्दी बड़ा है मन सुने क्यों, शौक पर अपने अड़ा है।।
____
  
छाया हरदम इसका मौसम,है फिरंगी खेल ऐसा।
इसके खिलाड़ी हैं सितारे, और बरसे खूब पैसा।।
बस इसके ही चर्चे होते, दूजे बिसर गये सारे।
हाॅकी कुश्ती खेल देश के,पीछे सिमटे बेचारे।।
_____
मौलिक व अप्रकाशित 
                             
 

आदरणीया प्रतिभा जी, आपने क्रिकेट खेल के कारण क्रीडा-जगत में बन चुकी धौंस की खूब चर्चा की है। यह भले ही एक स्याह पक्ष है, किंतु सत्य है। हालाँकि, विगत दसेक वर्ष से क्रीडा-जगत का हाल सुधरा अवश्य है। फिर भी, सरकार और जनता के हवाले से अभी बहुत कुछ करना है। 
हार्दिक बधाइयाँ 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।प्रस्तुत…See More
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service