आदरणीय काव्य-रसिको !
सादर अभिवादन !!
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सैंतीसवाँ आयोजन है.
इस बार का छंद है - गीतिका छंद
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ -
24 सितंबर 2022 दिन शनिवार से
25 सितंबर 2022 दिन रविवार तक
हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.
गीतिका छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो
24 सितंबर 2022 दिन शनिवार से 25 सितंबर 2022 दिन रविवार तक, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
चित्र अंर्तजाल के माध्यम से
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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आदरणीय अशोक जी
एक नेता के लिए भी, चार पथ हैं रोकते।
किन्तु मतदाता न इनको, एक दिन भी टोकते।।// वाह यही चित्र की मूल भावना है।इस सुन्दर रचना के लिये हार्दिक बधाई स्वीकारें
आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, गीतिका छंद की इस प्रस्तुति पर उत्साहवर्धन हेतु आपका अतिशय आभार. सादर
दूसरी प्रस्तुति
आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी,
आपकी दूसरी रचना कुछ जल्दबाज़ी में रची गयी लगती है।
'जाम का खाली सड़क का है अखरता दृश्य अब'.... इस पंक्ति कही गई बात समझ में नहीं आई।
'आम जन के सब्र का पर मत बनाओ यूँ दही'... 'सब्र का दही' ??? पहली बार सुना... देखियेगा।
आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, मैं आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर साहब से सहमत हूँ. यह छंद कुछ शीघ्रता में रचा गया है. क्योंकि छंद के प्रथम चरण का द्वितीय चरण के साथ तारतम्य नहीं बैठ पा रहा है. सादर
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