For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं पुलिस हूँ (पुलिस गीत) : आशीष यादव

मैं पुलिस हूँ 

मैं पुलिस हूँ, मित्र हूँ 

मैं आपका ही प्यार हूँ 

आपकी खातिर खड़ा हूँ

आपका अधिकार हूँ 

मैं पुलिस हूँ 

शपथ सेवा की उठाया हूँ करूँगा आमरण 

धीर साहस के लिए मैंने किया वर्दी-वरण 

जुल्म-अत्याचार से चाहे प्रकृति की मार से

रात-दिन रक्षा करूँगा आपका बन आवरण 

मैं अहर्निश कमर कसकर 

वेदना में भी विहँसकर 

कर्म को तैयार हूँ

मैं पुलिस हूँ 

मैं पुलिस हूँ, 

आपकी होली दीवाली आपके रमज़ान में 

आपके झाँकी-जुलुस में आपके अभिमान में 

धूप हो बरसात हो चाहे कि झंझावात हो 

शान से रहता सड़क पर देश के सम्मान में 

क्या मेरी होली-दीवाली 

कौन रातें ईद वाली 

मैं स्वयं त्यौहार हूँ 

मैं पुलिस हूँ 

मैं पुलिस हूँ, 

देश के सीने पे जब दुश्मन चलाया गोलियाँ 

या महामारी ने ही विकरालता धारण किया 

त्रासदी की जंग में, खाकी नए ही ढंग में 

जान की बाजी लगा दी हौसला पैदा किया 

कौन सी गोली-कटारी 

कौन मारेगी बीमारी 

मैं स्वयं हथियार हूँ 

मैं पुलिस हूँ 

मैं पुलिस हूँ 

मैं पुलिस हूँ, मित्र हूँ 

मैं आपका ही प्यार हूँ 

आपकी खातिर खड़ा हूँ

आपका अधिकार हूँ 

मैं पुलिस हूँ 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

आशीष यादव

आशीष यादव

Views: 521

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on January 24, 2022 at 11:22pm

आदरणीय श्री अमीरुद्दीन अमीर सर प्रणाम। 

आपकी सराहना से मन प्रसन्न हुआ। बहुत-बहुत धन्यवाद।

Comment by आशीष यादव on January 24, 2022 at 11:21pm

आदरणीय श्री लक्ष्मण धामी मुसाफिर सर प्रणाम।

सर गीत तक पहुंचने और उस पर सकारात्मक टिप्पणी देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 13, 2022 at 5:04pm

जनाब आशीष यादव जी आदाब, अच्छी रचना हुई है बधाई स्वीकार करें। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 11, 2022 at 2:08pm

आ. भाई आशीष जी, सादर अभिवादन। एक अच्छी सकारात्मक रचना हुई है। हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"मुकरियाँ +++++++++ (१ ) जीवन में उलझन ही उलझन। दिखता नहीं कहीं अपनापन॥ गया तभी से है सूनापन। क्या…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"  कह मुकरियां :       (1) क्या बढ़िया सुकून मिलता था शायद  वो  मिजाज…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"रात दिवस केवल भरमाए। सपनों में भी खूब सताए। उसके कारण पीड़ित मन। क्या सखि साजन! नहीं उलझन। सोच समझ…"
10 hours ago
Aazi Tamaam posted blog posts
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service