For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शिशिर के दोहे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

ठण्ड कड़ाके की पड़े, सरसर चले समीर।
नित्य शिशिर में सूर्य का, चाहे ताप शरीर।१।
*
दिखे शिशिर में जो नहीं, गजभर दूरी पार।
लगता  धरती  से  हुआ, अम्बर  एकाकार।२।
*
धुन्ध लपेटे भोर तो, विरहन जैसी साँझ।
विधवा लगते वृक्ष हैं, धरती लगती बाँझ।३।
*
घना कुहासा ढब घिरे, झरे हवा से नीर।
बदली जैसी भीत भी, धूप न पाये चीर।४।
*
देती है हिम खण्ड सा, शीतलहर अहसास।
चन्दा जैसा दीखता, सूर्य  क्षितिज के पास।५।
*
हुए वृक्ष सब काँच से, हिम की ओढ़ दुशाल।
लेकर साथ अलाव  को, सजे नित्य चौपाल।६।
*
खड़खड़ कर देखो झरे, तरु से हर इक पात।
फैला उन  से  भर  रही, गुमसुम  धरती गात।७।
*
ओढ़े लगते सब जरा, किन्तु सत्य विकराल।
अमृत तत्व वनस्पतियाँ, गहती हैं इस काल।८।
*
धूप सेंकती तितलियाँ, कहती पंख पसार।
धरती नीरस  मत  रहो, ले  लो  रंग उधार।९।
*
हुई   गुनगुनी  दो  पहर,  जब   अलसाई  धूप।
रुचिकर है अद्भुत भले, हुआ शिशिर का रूप।१०।
*
हिम की चादर  घाटियाँ, दसों  दिशाओं तान।
कहती आओ सब करें, खूब शिशिर सम्मान।११।
*
जेष्ठ अगर ऋतुराज है, सबसे शिशिर कनिष्ठ।
इसी लिए  ऋतुचक्र  में, इन की  प्रीत धनिष्ठ।१२।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 385

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 24, 2022 at 8:04pm

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 24, 2022 at 8:01pm

आ. भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by Sushil Sarna on January 20, 2022 at 1:22pm
वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मौसम के अनुकूल बहुत सुंदर दोहावली का सृजन हुआ है सर ।हार्दिक बधाई सर
Comment by Aazi Tamaam on January 20, 2022 at 11:25am

वाह वाह वाह आ धामी सर बेहद खूबसूरत दोहे हुए बधाई स्वीकार करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"//दोज़ख़ पुल्लिंग शब्द है//... जी नहीं, 'दोज़ख़' (मुअन्नस) स्त्रीलिंग है।  //जिन्न…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, बहतर है।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service