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2122, 2122, 2122


1)कर लिया हमने ख़सारा दो मिनट में
हो गया दिल ये पराया दो मिनट में

2)उम्र उसकी राह तकते कट गई है
आ रहा हूँ कह गया था दो मिनट में

3)थी उसे जल्दी तो मैं भी कुछ न बोला
हाल उसको क्या सुनाता दो मिनट में

4)जिस्म कैसे साथ दे अब उम्र भर तक
पक रहा है आज खाना दो मिनट में

5)होती है नाज़ुक बहुत रिश्तों की डोरी
टूट जाता है भरोसा दो मिनट में

6)लोग कहते हैं 'अनीस' इतना है माहिर
वो बना लेता है अपना दो मिनट में

अनीस अरमान 

मौलिक अप्रकाशित 

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Comment by Md. Anis arman on August 30, 2021 at 11:43am

जनाब लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी ग़ज़ल तक आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Md. Anis arman on August 30, 2021 at 11:42am

जनाब रवि शुक्ला जी ग़ज़ल तक आने और पसंद करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 26, 2021 at 1:23pm

आ. भाई अनीस जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई । 

Comment by Ravi Shukla on August 26, 2021 at 12:17pm

उम्दा गजल कही आपने आदरणीय  अनीस जी रदीफ का बेहतर इस्तेमाल हुआ । मुबारक बाद कुबूल करें 

Comment by Md. Anis arman on August 26, 2021 at 9:43am

जनाब सौरभ पाण्डेय जी ग़ज़ल पर आपकी इस प्रतिक्रिया ने ऊर्जा से भर दिया है मुझे, सच कहूँ तो ऐसे प्रयोग करते वक़्त एक डर भी बना रहता है इसे किस तरह लिया जाएगा पर आपने मेरा डर दूर कर दिया, इस ऊर्जा से कुछ और बेहतर लिख सकूँगा अब, आपका बहुत बहुत शुक्रिया 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 23, 2021 at 12:18pm

वाह, क्य बात है दो मिनट में !  

आदरणीय अनीस अरमान साहब, इस ग़ज़ल के कुछ शेरों के अंदाज पर मैं दंग हूँ. क्या खूब मिसर्  हुए हैं. यथा, 

थी उसे जल्दी तो मैं भी कुछ न बोला
हाल उसको क्या सुनाता दो मिनट में ...   .....   क्या खूब. क्या दम 

जिस्म कैसे साथ दे अब उम्र भर तक
पक रहा है आज खाना दो मिनट में  ....... .....  याद रखने और सुनाने लायक शेर हुआ है यह

ऐसे में, मक्ते पर अलग से बधाई. 

शुभ-शुभ

 

Comment by Md. Anis arman on August 15, 2021 at 8:45pm

जनाब समर कबीर साहब ग़ज़ल तक आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया, देर से जवाब देने के लिए मुआफ़ी चाहता हूँ 

Comment by Md. Anis arman on August 15, 2021 at 8:43pm

आदरणीय चेतन प्रकाश जी ग़ज़ल तक आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया देर से प्रतिक्रिया के लिए मुआफ़ी चाहता हूँ 

Comment by Samar kabeer on August 7, 2021 at 6:41pm

जनाब अनीस अरमान जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Chetan Prakash on August 5, 2021 at 6:36pm

आदाब, भाई अनीस अरमान, छोटी बह्र, लेकिन सहज भाव अच्छी ग़ज़ल हुई है, मुबारक हो! 

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