For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सभी साहित्य प्रेमियों को प्रणाम !

साथियों जैसा की आप सभी को ज्ञात है ओपन बुक्स ऑनलाइन पर प्रत्येक महीने के प्रारंभ में "महा उत्सव" का आयोजन होता है, उसी क्रम में ओपन बुक्स ऑनलाइन प्रस्तुत करते है ......

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक 

इस बार महा उत्सव का विषय है "बरखा बहार आई"

आयोजन की अवधि :- ८ जुलाई २०११ शुक्रवार से १० जुलाई २०११ रविवार तक

महा उत्सव के लिए दिए गए विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है | उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम निम्न है ...

विधाएँ
  1. तुकांत कविता
  2. अतुकांत आधुनिक कविता
  3. हास्य कविता
  4. गीत-नवगीत
  5. ग़ज़ल
  6. हाइकु
  7. व्यंग्य काव्य
  8. मुक्तक
  9. छंद [दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका वग़ैरह] इत्यादि |

साथियों बड़े ही हर्ष के साथ कहना है कि आप सभी के सहयोग से साहित्य को समर्पित ओबिओ मंच नित्य नई बुलंदियों को छू रहा है OBO परिवार आप सभी के सहयोग के लिए दिल से आभारी है, इतने अल्प समय में बिना आप सब के सहयोग से कीर्तिमान पर कीर्तिमान बनाना संभव न था |

इस ९ वें महा उत्सव में भी आप सभी साहित्य प्रेमी, मित्र मंडली सहित आमंत्रित है, इस आयोजन में अपनी सहभागिता प्रदान कर आयोजन की शोभा बढ़ाएँ, आनंद लूटें और दिल खोल कर दूसरे लोगों को भी आनंद लूटने का मौका दें |

( फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो ८ जुलाई लगते ही खोल दिया जायेगा )

यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |

नोट :- यदि आप ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सदस्य है और किसी कारण वश महा इवेंट के दौरान अपनी रचना पोस्ट करने मे असमर्थ है तो आप अपनी रचना एडमिन ओपन बुक्स ऑनलाइन को उनके इ- मेल admin@openbooksonline.com पर ८ जुलाई से पहले भी भेज सकते है, योग्य रचना को आपके नाम से ही महा उत्सव प्रारंभ होने पर पोस्ट कर दिया जायेगा, ध्यान रखे यह सुविधा केवल OBO के सदस्यों हेतु ही है |

( "OBO लाइव महा उत्सव" सम्बंधित किसी भी तरह के पूछताक्ष हेतु पर यहा...

मंच संचालक

धर्मेन्द्र शर्मा (धरम)

Views: 11845

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक ९ में आप सभी साहित्य प्रेमियों का स्वागत है .....

नई नवेली नारि


नई नवेली नारि अकेले पावस में ससुराल बसे.

बारिश की बूंदे उसको- सौतन के ही मानिंद डसे.

मेघा के ही साथ रात में, सेज पे दो नयना बरसे.

सजन- अंग- संग मिलन को आतुर, गोरी का अंग -अंग तरसे.

 

डाढ़ लगे बारिश को विधिना, बिरह में घन जो गरज हंसे.

बारिश की बूंदे उसको- सौतन के ही मानिंद डसे.

बारिश से कुछ धुले ना धुले, आंसू से कजरा धुल जाए.

मेघा के छाने से तन में, पावस में पावक लग जाए.

 

मन की आग बुझा नहीं पाते, सावन के काले बादल.

ठोकर से क्या बजा कभी है, दुल्हन के झुमका -पायल?

आग लगे उनके दफ्तर को, ताकि वो घर लौट सके.

बारिश की बूंदे उसको- सौतन के ही मानिंद डसे.

 

गीतकार - सतीश मापतपुरी

''आग लगे उनके दफ्तर को, ताकि वो घर लौट सके.

बारिश की बूंदे उसको- सौतन के ही मानिंद डसे.''

 

वाह ! सतीश जी...आपने भी क्या खूब लिखा...हा हा हा

टिप्पणी हेतु बहुत बहुत धन्यवाद शन्नो जी.
चपला चमके चम् चम् चम् चम् घन घन घन घन घन मेघ बजे
हरियाले घूंघटे में छिपकर वसुधा अपनी अब खूब लजे
सब शोक मिटें, सब रोग मिटें, नयनन में एक उमंग सजे
सुन गीत सतीश के सब सखियाँ तज काज को आज करे हैं मज़े
धन्यवाद राणा साहेब, टिपण्णी के क्रम में ही आपने एक सुन्दर रचना भी दी है, इसके लिए साधुवाद.

//आग लगे उनके दफ्तर को, ताकि वो घर लौट सके//

इस लाइन ने तो जैसे दिल के तारों को छू लिया..
सतीश जी बहुत ही सुन्दर और मार्मिक अभिव्यक्ति है..

शुक्रिया इमरान साहेब.

//मेघा के ही साथ रात में, सेज पे दो नयना बरसे.

सजन- अंग- संग मिलन को आतुर, गोरी का अंग -अंग तरसे.

डाढ़ लगे बारिश को विधिना, बिरह में घन जो गरज हंसे.

बारिश की बूंदे उसको- सौतन के ही मानिंद डसे.//

 

वाह वाह वाह सतीश भाई - क्या ही सुन्दर गीत कहा है ! मुआफी चाहता हूँ कि पहले नहीं पढ़ पाया, अभी इसको पढ़कर गुनगुना भी रहा हूँ और झूम भी रहा हूँ ! मुबारकबाद स्वीकार करें !

आदरणीय प्रभाकर जी, प्रधान सम्पादक की दाद पाकर मैं खुद भी झूमने लगा हूँ. हौसलाफजाई के लिए साधुवाद.

डाढ़ लगे बारिश को विधिना, बिरह में घन जो गरज हंसे.

बारिश की बूंदे उसको- सौतन के ही मानिंद डसे.

 

सतीश भईया, बिरह वेदना का अद्भुत चित्रण इस रचना मे दिखता है , दाढ़ लगे का प्रयोग बहुत ही खुबसूरत लगा, भोजपुरिया क्षेत्र में यह एक मीठी गाली के मानिंद है जिसका अर्थ मैं क्या शायद गाली देने वाला भी नहीं जनता |

 

इस खुबसूरत रचना हेतु आपका कोटिश: आभार |

धन्यवाद गणेश जी, यह तो अच्छी बात है न कि गाली भी हो और उसका अर्थ भी स्पष्ट न हो तो इस तरह गाली देने वाले को आत्म संतुष्टि भी मिल जाती है. उसका क्रोध भी शांत हो जाता है और सुनने वाले कि भावना मतलब न जानने के कारण आहत भी नहीं होती है

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service