For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सावनी दोहे

गुन -गुन गाएं धड़कनें, सावन में मल्हार ।
पलक झरोखों में दिखे, प्यासा -प्यासा प्यार ।।


अनुरोधों के ज्वार हैं, अधरों पर स्वीकार ।
प्रतिबन्धों की हो गई, मूक रैन में हार ।।


सावन में अक्सर बढे़, पिया मिलन की प्यास ।
हर गर्जन पर मेघ की, यादें करती रास । ।


बूंदों की अठखेलियां, नटखट से इंकार ।
बेसुध तन पर प्यार की, पड़ती रही फुहार ।।


सावन आया झूम के, झूमी मस्त बहार ।
अन्तस में झंकृत हुए, सुप्त सभी स्वीकार ।।

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 614

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on August 26, 2020 at 8:34pm

आदरणीय आशीष यादव जी सृजन पर आपकी हृदयग्राही प्रतिक्रिया का तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by आशीष यादव on August 26, 2020 at 12:35am

सुंदर दोहों पर बधाई स्वीकार कीजिए।

Comment by Sushil Sarna on August 21, 2020 at 8:45pm

आदरणीय  Samar kabeer जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार। 

Comment by Samar kabeer on August 21, 2020 at 3:14pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छे दोहे लिखे आपने, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sushil Sarna on August 20, 2020 at 12:15pm
आदरणीया डिम्पल जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से शुक्रिया ।
Comment by Dimple Sharma on August 19, 2020 at 7:02pm

आदरणीय सुशील जी नमस्ते, वाह बहुत सुंदर, बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय।

Comment by Sushil Sarna on August 19, 2020 at 5:24pm
आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'  जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का आभारी है।
Comment by Sushil Sarna on August 19, 2020 at 5:24pm
आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का आभारी है।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 19, 2020 at 11:08am
आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन ।सुन्दर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई ।
Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 18, 2020 at 8:56pm

आदरणीय सुशील सरना जी सादर नमस्कार - बहुत सुंदर दोहों के लिए बधाई स्वीकार करें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service