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 "अरे  ...  ये तुम्हारा नेटवर्क कभी भी आता - जाता रहता है। मैं तो परेशान हो गया। पुराना बदल कर, ये तुम्हारी कम्पनी का नया वाला ब्रॉडबेंड लिया। उसका भी यही हाल है। 

 तुम ही बोल रहे थे न , ...  कि इसमें कोई दिक्कत नहीं होगी।  सर्विसिंग भी अच्छी है। अब तुम्हारे साथ भी वही रोना है।" शर्मा जी  ने गुस्से से कहा।
नहीं सर, आपको कोई दिक्कत नहीं होगी।
"ये लीजिये कनेक्टिविटी आ गई।",  उसने मॉडेम सेट करते हुए बोला । 
सर, "मेरा नाम चंद्रशेखर है। आपके एरिये का सर्विस इंजीनियर हूँ। ये मेरा कार्ड रख लीजिये।" 
अच्छा बेटे, कोई प्रॉब्लम होगी तो फ़ोन करूँगा। 
बिल्कुल सर, "आप कभी भी कॉल करिये। मैं तुरन्त आ जाऊँगा।"
बेटे,  वैसे तो मुझे इस सिस्टम से कोई मतलब है, नहीं। अब यूट्यूब पर गाने सुनने और पिक्चर देखने के दिन तो रहे नहीं।  
"वो क्या है न, कि दोनों बच्चे यूएस में  हैं।"  
 "हम बुड्ढे - बुढ़िया को बस उनके वीडियो कॉल की ही तो प्रतीक्षा रहती है।" 
"उसी समय ये तुम्हारा नेट वर्क बिजी हो जाता है।"
 अब हमारा क्या है ? 
"इसी के सहारे तो ज़िन्दा हैं। उनकी सूरतें दिख जातीं हैं, ... ... ...   तो दिल को तसल्ली हो जाती है।" 
.
( मौलिक और अप्रकाशित )

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Comment by Neelam Upadhyaya on July 23, 2018 at 2:27pm

आदरणीय मुज़फ्फर इक़बाल साहब,  नमस्कार।  समाज में बुजुर्गों के  एकाकीपन का आभास दिलाती सुन्दर रचना की प्रस्तुति ।  हार्दिक बधाई ।  

Comment by babitagupta on July 23, 2018 at 2:07pm

बुजुर्गों की समाज की हालत बहुत ही दयनीय हैं, समस्या का समाधान सिर्फ माता पिता ही अपने आपको धैर्य की गठरी बांधकर  आभासी दुनियां बनाकर जिए.समाज की अनगिनत समस्याओं में से एक समस्या यह भी हैं,बेहतरीन रचना द्वारा प्रस्तुत करना,हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।

Comment by Samar kabeer on July 22, 2018 at 11:53am

जनाब मुज़फ़्फ़र इक़बाल साहिब आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on July 22, 2018 at 9:01am

हमारे समाज के बुज़ुर्ग मां-बाप के एक अहम मसले और आभासी तसल्ली को उभारती विचारोत्तेजक व सामाजिक सरोकार की बहुत बढ़िया रचना के लिए बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब मुज़फ़्फ़र इक़बाल सिद्दीक़ी साहिब। शुरू के भाग मेंं कुुुछ शब्द कम किये जाने की गुंजााइश लगती है।सादर।

Comment by MUZAFFAR IQBAL SIDDIQUI on July 21, 2018 at 6:17am

बहुत बहुत आभार ,आदरणीय 

Comment by Shyam Narain Verma on July 20, 2018 at 12:41pm
सुन्दर सार्थक रचना  ने लिये आपको बधाई ….

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