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मोबाईल पर खेला जाने वाला वह खेल युवाओं का पसंदीदा खेल बन गया था। युवाओं को दीवानगी की हद तक पहुंचाने वाले इस खेल में खिलाडी को हाथ पर मछली का चित्र गुदवाना और हर स्टेप जीतने पर गुदी हुई मछली पर एक कट मारकर किसी बहुमंजिला इमारत की पहली, दूसरी,तीसरी छत पर पहुंचनाऔर अंत में छटवीं मंज़िल से कूद कर आत्महत्या करना,सारे टास्क पूरे करके विजेता के लिये यह पुरस्कार था।दुनियाँ मेंअनेक स्थानों पर इस खेल के कारण हादसे हो रहे थे।आखिर पुलिस ने ऐसा खतरनाक खेल  बनानेवाले उसआदमी को धर दबोचा।
"तुमने ऐसा खेल क्यों बनाया?"
"मोबाईल के खेल बनाने में मेरी रुचि है।"
"पर ऐसी नेगेटिविटी भरे खेल!तुम जानते हो ,तुम युवाओं को आत्महत्या के लिये उकसा रहे हो!इसके लिये तुम्हे उम्रकैद भी हो सकती है!"
"जानता हूं।पर युवाओं को  बदलाव चाहिये।"
"तुम्हे युवाओं की सोच में बदलाव पॉज़ेटिव लाना चाहिये।ऐसे बदलाव का उद्येश्य क्या है? "
" आप नही जानते।ऐसे खेल खेलने वाले विकृत मानसिकता के लोग होते है।समाज के लिये घातक।"
"तुम भी उनका हिस्सा हो।सज़ा के लिये तैयार रहो।"
" हाँ, तैयार हूं।समाज के बायलॉजिकल वेस्ट की सफाई होना ज़रुरी है।" तभी वहाँ  प्रसिद्ध मनोरोग  चिकित्सक डॉ. विलियम आ गये -
"  मैं इसआदमी की तलाश में था। मैं इस पर काम करना चाहता हूं।हम इसके मस्तिष्क और ऊर्जा को पॉज़ेटिवीटी में बदलेंगे।ये मोबाईल पर उम्दा खेल बनायेगा।"
"बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट"।

मौलिक/अप्रकाशित 
डॉ. वसुधा गाडगिल, इंदौर

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Comment by VASUDHA GADGIL on August 5, 2017 at 6:26pm
आदरणीय, इस प्रोत्साहनपूर्ण प्रतिक्रिया के लिये सादर आभार और धन्यवाद।
Comment by विनय कुमार on August 5, 2017 at 10:14am

एक वर्तमान विषय पर लघुकथा का बढ़िया प्रयास और अंत सकारात्मक किया आपने, इसके लिए बधाई|  

Comment by VASUDHA GADGIL on August 4, 2017 at 10:56pm
इस महत्वपूर्ण सुझाव के लिये सादर आभार और धन्यवाद आद.कबीरजी
Comment by Samar kabeer on August 4, 2017 at 6:22pm
मोहतरमा वसुधा जी आदाब,कथानक अच्छा है,पर लघुकथा में कुछ और कसावट चाहिए,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

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