For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहा छंद....
बादल-बदली-बूंद से, हवा हुई जब नर्म.
ज्येष्ठ ताप-बैसाख ने, जोड़ें रिश्ते मर्म.१
 
हवा दिशाओं को करे, अनुप्राणित रस सिक्त.
बादल उनको जी रहा,  वर्षा  करती  रिक्त.२
 
सावन में वर्षा नहीं,  नहीं हरित व्यवहार.
नीम वृक्ष के गांव में, चिंचियाता बॅंसवार.३
 
सावन में पावक लगी, जले खेत-वन-बाग.
नदी ताल सर ऊंघतीं,  लिये  कोंढ़  के  दाग. ४
 
सावन  के  झूले  नहीं,  मिले  लटकते  सत्य.
बाहुबली अति वासना, सिर चढ़ करती नृत्य.५
 
सत्य ब्रह्म तन सूर्य मुख, कर स्वर्णिम शुभलाभ.
बीज   प्रेम   के  रोपते,  फलते   यश   अमिताभ.६
 
दिव्य नयन संसार में, नदिया-सागर-झील.
मानव उसमें उतर कर,  लगे  हंस - कंदील. ७
 
मौलिक व अप्रकाशित
रचनाकार..... केवल प्रसाद सत्यम
चलभाष्य--- ९४१५ ५४१ ३५३

Views: 836

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 17, 2016 at 8:13pm

आ० महर्षि भाई जी,  आपका हार्दिक आभार ..  सादर

Comment by maharshi tripathi on June 16, 2016 at 10:19pm
सुंदर प्रस्तुति आ.केवल प्रसाद जी !!!
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 15, 2016 at 7:00pm

आ० भण्डारी भाई जी, प्रणाम,....जी बिल्कुल सही कहा. अभी ठीक करता हूं. दोहों की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार.  सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 15, 2016 at 5:28pm
आदरनीय केवल भाई , बढिया दोहावली  के लिये हार्दिक बधाई ।
सावन में वर्षा नहीं,  नहीं हरित व्यवहार.
नीम वृक्ष के गांव में, चिंचियाता बॅंसवार. -- बहुत खूब !
सावन में फिर आग लगी,   -- इस चरण मे एक मात्रा अधिक है , देख लीजियेगा ।
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 14, 2016 at 6:41pm

आ० उसमानी भाई जी,  सादर  प्रणाम.  दोहों की सराहना एवं संदेश को मुखर करने के लिये आपका हार्दिक आभार.  सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 14, 2016 at 6:39pm

आ० श्याम  नारायण भाई जी,  सादर  प्रणाम.  सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार.  सादर

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on June 14, 2016 at 2:33pm
प्रेम-बीज-रोपण ही सभी के लिए, पारस्परिक अस्तित्व-चक्र के लिए अपरिहार्य है। समसामयिक परिदृश्य पर ज्वलंत मुद्दों पर शिल्पबद्ध सटीक दोहाावली हेतु तहे दिल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय केवल प्रसाद जी।
Comment by Shyam Narain Verma on June 14, 2016 at 12:46pm
बहुत सुन्दर दोहे आदरणीय  । हार्दिक बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Vikas is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
Monday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service