For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहा गीत - रक्षा बंधन पर्व में,

दोहा गीत -

रक्षा बंधन पर्व में,

दुनिया भर का प्यार

 

ऐसा पावन पर्व यह, है भारत की शान

सम्बन्धों की डोर का, बढे खूब सम्मान |

राखी धागे में बँधी, रक्षा की पतवार

बहन लुटाती भ्रात पर, दुनिया भर का प्यार

 

राखी धागा प्रेम का, बहना देती मान,

आत्महीन भाई वही दे न सके सम्मान |

रिश्ते ही परिवार में, जीने का आधार

भाई के उपहार में, दुनिया भर का प्यार

 

रक्षा बंधन पर्व में, छुपी खूब यह प्रीत

सबसे ऊपर प्रेम है, जग माने यह रीत |

झलके इस त्यौहार में, प्रेम प्रीत व्यवहार

राखी के दो तार में, दुनिया भर का प्यार

 

बहना हो कर्णावती, मिले हुमायूँ भ्रात

मुँह बोली बहना मिले,जात रहे ना पात |

जात पात को भूलता, रिश्तों का संसार

इस पावन सम्बन्ध में,, दुनिया भर का प्यार

 

इस पावन त्यौहार में, सूना रहे न हाथ,

जब तक सूरज चाँद है, रहे प्रेम का साथ,

सदियों से इस देश में, मना रहे त्यौहार

ज्योतिर्मय इस दीप में, दुनिया भर का प्यार

(मौलिक अप्रकाशित)

Views: 1777

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 1, 2015 at 11:34am

सही  कहाँ आपने आदरणीया प्रभा पाण्डे  जी | दरअसल पहली बार मेरी एकलौती बहन न होने पर भावों को रोक नहीं पाया और पाहे दोहे रच उन्हें  गीत रचना में ढालकर पोस्ट किये | दोहे पर अंतिम दोहा बहन पर ही था -

आँखें मेरी नम हुई, बहना करूं प्रणाम,
बहना मेरी जा बसी,जहाँ ईश का धाम | -लक्ष्मण रामानुज 

गीत रचना सराहने के लिए आपका हार्दिक  आभार | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 1, 2015 at 11:29am

राखी जैसे पावन और पवित्र प्रेम के त्यौहार का महत्त्व बताते हुए रचित दोहा गीत सराहने के लिए आपका  ह्रदय से हार्दिक  आभार आदरणीय  श्री  सौरभ पाण्डेय  जी | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 1, 2015 at 11:12am

हार्दिक  आभार  आदरणीया शशी बंसल जी 

Comment by pratibha pande on September 1, 2015 at 10:01am
राखी का त्यौहार सचमुच निराला होता है , किसी और संस्कृति में शायद ही ऐसा कोई त्यौहार हो ,आपको हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी इस रचना के लिए

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 31, 2015 at 10:54pm

आदरणीय लक्ष्मण प्रसादजी, आपने दिल से इस दोहा-गीत की रचना की है. राखी केअवसर पर इस तरह की अभिव्यक्ति कई मायनों में महती हुआ करती है. 

हार्दिक शुभकामनाएँ 

Comment by shashi bansal goyal on August 31, 2015 at 7:15pm
अति सुन्दर प्रस्तुति ।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 31, 2015 at 4:26pm

रक्षा बंधन पर्व पर रचित  गीत  रचना  सराहने के लिए हार्दिक आभार आपका श्री मिथिलेश वामनकर जी | सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 31, 2015 at 2:30pm

आदरणीय  लक्ष्मण रामानुज लडीवाला सर बहुत सुन्दर दोहा गीत हुआ है. इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें। सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 30, 2015 at 11:08am

रक्षा बंधन पर्व पर रचित गीत  रचना सराहने के लिए बहुत बहुत आभार आपका श्री समर कबीर भाई | आपको भी इस पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं 

Comment by Samar kabeer on August 29, 2015 at 11:34pm
जनाब लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी,आदाब,रक्षाबंधन के पर्व पर इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service