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" ये देखिये , सोनू का परीक्षा परिणाम ।बहुत ही निराशाजनक है ।"
" मैडम क्या आप 'ट्यूशन' लेती हैं ?"
" ट्यूशन का बच्चे के प्रदर्शन से क्या सम्बन्ध ? "
" है क्यों नहीं । पुराने विद्यालय में सोनू सदा अव्वल आता था क्योंकि वहीं के मास्टर जी से 'ट्यूशन' लेता था ।"
" ओह्ह्ह ! यानि बच्चे की बुनियाद में ही दीमक लगी है।"
=======================
मौलिक व अप्रकाशित ।

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Comment by shashi bansal goyal on May 8, 2015 at 5:57pm
हार्दिक आभार आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी ।
Comment by shashi bansal goyal on May 8, 2015 at 5:56pm
हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ।आपकी शुभकामनायें सम्बल बढ़ाने और प्रोत्साहन देने वाली है ।इसके लिए हृदय तल से आभारी हूँ ।
Comment by shashi bansal goyal on May 8, 2015 at 5:51pm
हार्दिक आभार आदरणीय sushil sarna जी ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 8, 2015 at 2:26pm

सुन्दर ,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 7, 2015 at 11:59pm

आदरणीया शशि जी, आपकी यह लघुकथा आजके दौर का सबसे ज्वलंत समस्या उठाती हुई है.
हार्दिक शुभकामनाएँ
सादर

Comment by Sushil Sarna on May 7, 2015 at 8:02pm

सत्यता पर चोट करती सुंदर लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई  आदरणीया। 

Comment by shashi bansal goyal on May 7, 2015 at 4:48pm
हार्दिक आभार आदरणीय krishna mishra जी ।
Comment by shashi bansal goyal on May 7, 2015 at 4:46pm
हार्दिक आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी ।
Comment by Shyam Narain Verma on May 7, 2015 at 3:44pm
सुन्दर लघुकथा के लिये आपको बधाई ॥
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 7, 2015 at 2:21pm

वाह! वाह! बेहतरीन लघुकथा हुयी है,आजकल कमोबेश सभी जगहों पर शिक्षा की स्थिति ऐसी ही है,इस विषय प्र और लघुकथाए आनी चाहिए! आपको हृदयतल से बधाई व् शुभकामनाए आ० शशि बंशल ज़ी!

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