For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अभी तुम्हारे दिल में भीड बहुत है

अभी तुम्हारे दिल में 
भीड बहुत है
काफी शोर-शराबा है
नशा -ए -दौलत का  
अदा-ए-हुस्न का 
जोश-ए-जवानी का
आना जाना भी बहुत है
दिल फेंक प्रेमियों का
अभी तुम भी परेशान हो 
सोच-सोचकर 
किसको दिल में रखूँ 
किसे नहीं 
..
मगर 
जब ये भीड छट जाये
दिल हो जाये 
खाली खाली
उस वक्त मुझे कहना 
अपने दिल में रहने को 
मैं रहुंगा तुम्हारे दिल में
क्योंकि
मुझे अकेलापन 
बहुत पसन्द है

उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 538

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by umesh katara on April 15, 2015 at 8:09pm

आदरणीयEr. Ganesh Jee "Bagi" जी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिये सादर आभार

Comment by umesh katara on April 15, 2015 at 8:09pm

आदरणीयडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिये सादर आभार

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 15, 2015 at 4:46pm

आ० कटारा जी

बहुत बढ़िया i सादर .


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 14, 2015 at 5:03pm

क्या कहने आदरणीय कटारा साहब, बहुत सुन्दर कथ्य, अच्छी लगी यह प्रस्तुति, बधाई.

Comment by umesh katara on April 14, 2015 at 7:49am

आदरणीय rajesh kumari जी शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 13, 2015 at 10:38pm

बहुत खूब ...आ० उमेश कटारा जी ,हार्दिक बधाई सुन्दर प्रस्तुति पर .

Comment by umesh katara on April 13, 2015 at 10:09pm

आदरणीय krishna mishra 'jaan'gorakhpuriजी आभार

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 13, 2015 at 8:38pm

भई वह dth प्रस्तुति पर बधाई आ० उमेश जी!

Comment by umesh katara on April 13, 2015 at 7:18pm

आदरणीय  गिरिराज भंडारीजी आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 13, 2015 at 8:43am

वाह वाह !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
21 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service