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आया फ़ाग का मौैसम मुझे सपने सजाने दो
दिल के पास जो रहता उसी के पास जाने दो

तू मेरे रंग में रंग जा मैं तेरे रंग को पा लूँ
प्रियतम ने प्रिया से आज मन की बात खोली है

अधूरा श्याम राधा बिन ,राधा श्याम की हो ली
दिलों में प्यार भरने को आयी आज फिर होली

होली की असीम शुभकामनायें

तन से तन मिला लो अब मन से मन भी मिल जाये
प्रियतम ने प्रिया से आज मन की बात खोली है

ले के हाथ हाथों में, दिल से दिल मिला लो आज
यारों कब मिले मौका अब छोड़ों ना कि होली है.

मौसम आज रंगों का , छायी अब खुमारी है
चलों सब एक रंग में हो कि आयी आज होली है

क्या जीजा हों कि साली हो ,देवर हो या भाभी हो
दिखे रंगनें में रंगानें में ,सभी मशगूल होली है

प्रियतम क्या प्रिय क्या अब सभी रंगने को आतुर हैं
हम भी बोले होली है तुम भी बोलो होली है

ना शिकबा अब रहे कोई ,ना ही दुश्मनी पनपे
गले अब मिल भी जाओ सब, कि आयी आज होली है
.

मौलिक व अप्रकाशित"
मदन मोहन सक्सेना

Views: 354

Comment

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Comment by Hari Prakash Dubey on March 8, 2015 at 12:37pm

आदरनीय मदन मोहन सक्सेना जी इस सुन्दर रचना पर बधाई आपको ! सादर  

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 6, 2015 at 11:10am

आ० मदन जी

अच्छा प्रयास है  i आपको होली की बधाई  i सादर i

कृपया ध्यान दे...

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