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मिटटी ,बांस और हम

मिटटी ...
नर्म होती है
जब गीली होती है
पक जाती है वह
जब आग पर
रंग ,रूप आकार नहीं बदलती //

बांस ...
जब कच्चा होता है
जिधर चाहो ,मोड़ दो
पक जाने पर
नहीं मुड़ेगा //

आदमी ...
कब पकेगा
मिटटी की तरह
बांस की तरह
शायद कभी नहीं क्योकि
दिल तो बच्चा है जी //

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Comment

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Comment by Rash Bihari Ravi on December 29, 2010 at 6:41pm
khubsurat lajabab
Comment by Bhasker Agrawal on December 29, 2010 at 1:06pm
परिवर्तन हमारा सत्य स्वभाव है..
क्या खूब तरीके से कहा आपने
लाजवाब

कृपया ध्यान दे...

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