For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता : दुनिया को कहकर अलविदा,रुखसत हो गये काका.

आज सबकी आँखे नम हुई,गमगीन हुआ ठहाका.
अपने सारे चाहने वालों को देकर जोर का धक्का.
                दुनिया को कहकर अलविदा,रुखसत हो गये काका.
अब नहीं रहे हमारे बिच,हमारे पहले सुपर-स्टार.
पर जीवित रहेगा ह्रदय में, उनका सदा किरदार. 
                 सदा बहार नगमे उनकी याद सदा दिलाएगी.
                 चाह कर भी ये दुनिया,उनको न भूल पायेगी.
कभी न टूट पायेगा, उनका जग से रिश्ता पक्का.
दुनिया को कहकर अलविदा,रुखसत हो गये काका.
                  सच्चा-झूठा, दो रास्ते, अनुरोध हो या आनंद.
                  उनकी सारी फिल्मे,पब्लिक को है बहूत पसंद.
बहूत मिस करेंगे उनको,उनके दीवाने सारे. 
अब बन के तारे चमकेंगे बाबु मोसाय हमारे.
                फीका उनके बिन हो जायेगा,पूरा फ़िल्मी इलाका.
                दुनिया को कहकर अलविदा,रुखसत हो गये काका.         

Views: 627

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on July 18, 2012 at 11:00pm

काका को भावभीनी श्रद्धांजलि देती इस खूबसूरत कृति के लिए मेरी तरफ से धन्यवाद

Comment by Noorain Ansari on July 18, 2012 at 9:11pm

प्राची जी हौसला अफजाई के लिए सादर धन्यबाद..

Comment by Noorain Ansari on July 18, 2012 at 8:26pm

आदरनीय राजेश कुमारी जी,

काका को मेरे तरफ से भी भावभीनी श्रधान्जली और आपको बहूत बहूत धन्यवाद..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 18, 2012 at 7:03pm
आ. काका को श्रधान्जली प्रेषित करती इस अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 18, 2012 at 4:58pm

काका को भावभीनी  श्रधान्जली बहुत अच्छा लिखा है आपने 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service