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”किसी और के नाम की मेंहदी”

किसी और के नाम की मेंहदी, तुम
अपने हाथो पे रचाने जा रही हो
मेंहदी के इन सूर्ख-लाल रंगो से,तुम
हाथ की लकीरों को छुपाने जा रही हो
उन लकीरों में लिखा था नाम मेरा, तुम
अपने हाथो से मेरा नाम मिटाने जा रही हो
वादा तो था सात-जन्मों तक साथ निभाने का, तुम
इसी जन्म मे साथ छुड़ाने जा रही हो
याद आयेंगे तुम्हे बहुत वो बिते हुए पल, तुम
जिनको हमेशा के लिए भुलाने जा रही हो
वादा करते है रहोगी इस दिल मे ताउम्र, तुम
जिस दिल को तोड़ने जा रही हो
होंगी तुम्हारी भी कुछ मजबुरीयाँ, तुम
वरना मुझे क्यों अकेले छोड़े जा रही हो
दुआ करता हूँ खूश रहना हमेशा, तुम
नयी दुनिया मे, जो बसाने जा रही हो
और ख्याल रखे तुम्हारा वो हमेशा, तुम
जिसे अपना बनाने जा रही हो।।।।।।।।।।

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Comment

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Comment by Admin on April 26, 2010 at 8:29am
वाह राजू जी वाह , बहुत सुन्दर रचना आप लिखे है, दिल खुश हो गया, आप कि रचनाए दिन प्रतिदिन बेहतर हो रही है, ऐसे ही लिखते रहिए बहुत आगे जाइयेगा, अगले रचना का ईन्तजार रहेगा ।
Comment by Raju on April 25, 2010 at 4:05pm
THANK YOU .......
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on April 25, 2010 at 10:28am
bahut badhiya rachna baa raju bhai.......bhai raua ta ruk ruk ke dhakama karat bani.....jaise abhi kuch din shant rahni ha aur aaj ee achanak se ek dhamaka.....
bahut zordaar likhle bani raju bhai.......
aisehi likhat rahi....aur ek baat hum bhi kahab.......KISI AUR KE NAAM KI MEHNDI HAATHON ME NAA APNE BHARNA,THUKRA KE MOHABBAT MERI KABHI KISI AUR SE PYAR NAA KARNA

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 25, 2010 at 9:43am
मेंहदी के इन सूर्ख-लाल रंगो से,तुम
हाथ की लकीरों को छुपाने जा रही हो
उन लकीरों में लिखा था नाम मेरा, तुम
अपने हाथो से मेरा नाम मिटाने जा रही हो


बहुत ही खुबसुरत रचना है राजू जी, हम लोगो ने आपके भोजपुरी रचनाऒ को तो पहले ही देखा है पर आज आपकी हिन्दी रचना यह साबित कर दिया कि केवल आपको भोजपुरी साहित्य मे ही महारत हाशिल नही है बल्कि हिन्दी लेखन मे भी महारत हासिल है, बहत ही सुन्दर रचना है, आगे भी ऐसी रचनाऒ का इन्तजार रहेगा । धन्यबाद ।

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