कुछ कह न सके तुम, चुप सह न सके हम .
Comment
Shukria Ashish ji :)
dhanyvaad Ganesh ji:)
Shukria Anwesha Anjushree ji:)
Aabhaar Kailash C Sharma ji:)
Aapka bahut bahut dhanyvaad mohinichordia ji :)
एक मार्मिक कविता| ह्रदय को स्पर्श करती हुई| इस दशा में दोनों को ही अपने कर्म करते हुए तड़पना पड़ता है, एक सीमा पर तो एक घर की सीमा में|
माटी का ही लाल था माटी में मिल गया....
वाह, लता जी, आपने इस रचना के जरिये देश के वीरों को सलाम भेजा है, एक सीमा पर शहीद होता है और एक घर में शहीद होती है, बिरह के दर्द को कलेजे में समेटे वो कैसे जय हिंद कहती होगी, वोह !
खुबसूरत प्रस्तुति लता जी, आभार आपको |
sunder abhiwyakti..pidit man ka sunder avlokan...
मार्मिक कविता है |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online