For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक नया कलाम : भलाई के नाम....

कर भला कर भला गर भला कर सके....
नफरतो को मिटा गर भला कर सके....

नाउम्मीदी भरा कोई जब भी मिले....
आस उसको बंधा गर भला कर सके....

जब कभी कोई अंधा दिखे राह में....
पार उसको लगा गर भला कर सके....

हाथ फैलाए जब कोई भूखा दिखे....
भूख उसकी मिटा गर भला कर सके....

तन किसी का खुला देख ले गर कभी....
पेरहन कर अता गर भला कर सके....

जिंदगी की मिटा दें हर इक तीरगी....
दीप ऐसे जला गर भला कर सके....

राज हर इक कदम आंसुओं को यहाँ....
मुस्कुराना सिखा गर भला कर सके....

Views: 628

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 16, 2012 at 3:04pm

kya baat hai behad saalenta kaa parichay deti gamabheer chintan ko piroyi hue umda ghazal ke liye badhai aapko


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 16, 2012 at 10:30am

बेहद सादगी से बेहद गहरी बातें कह दीं भाई राज बाजपेई जी। आपके अश'आर न सिर्फ दिल को छूते ही हैं बल्कि सुकून भी पहुंचाते हैं। इस बेहद खूबसूरत ग़ज़ल के लिए मेरी दिली मुबारकबाद कुबूल फरमाएं ।

Comment by आशीष यादव on May 16, 2012 at 9:46am

bahut sundar ash'aar. nek ghazal.

badhai.

Comment by Bhawesh Rajpal on May 16, 2012 at 9:26am

बहुत बढ़िया  !  बधाई !

Comment by Rekha Joshi on May 16, 2012 at 12:22am
राज हर इक कदम आंसुओं को यहाँ 
मुस्कराना सिखा ,गर कर सके भला ,बहुत बढ़िया 
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 15, 2012 at 11:08pm

कर भला कर भला गर भला कर सके....
नफरतो को मिटा गर भला कर सके....

नाउम्मीदी भरा कोई जब भी मिले....
आस उसको बंधा गर भला कर सके....

प्रिय राज जी ...बहुत सुन्दर सीख  देती शेरो शायरी आप की ..काश लोग अपनाएं और ये लोगों का भला कर सके ...जय श्री राधे 

भ्रमर५ 


Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on May 15, 2012 at 10:32pm

तन किसी का खुला देख ले गर कभी....
पेरहन कर अता गर भला कर सके....

जिंदगी की मिटा दें हर इक तीरगी....
दीप ऐसे जला गर भला कर सके....क्या खूबसूरत अशआर कहें हैं आपने एक बेहतरीन गजल पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें

Comment by Shayar Raj Bajpai on May 15, 2012 at 8:35pm

आपके अमूल्य कमेन्ट के लिए बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरमा राजेश कुमारी जी....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 15, 2012 at 8:33pm

तन किसी का खुला देख ले गर कभी....
पेरहन कर अता गर भला कर सके....bahut khoob ...umda ghazal

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service