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मुकद्दर की बात.
हुकूमत के साथ-साथ ही दफ्तर बदल गए.
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hriday se aabhar Arun bhai.
सूखी नदी के सामने बरसो खड़े थे जो,
पानी मिला तो प्यास के तेवर बदल गए.
kamaal ki gahree baat kahta sher badhai bahut bahut !!
Sanjay Rajendraprasad Yadav..आशीष यादव...Ganesh Jee "Bagi".....sabka hriday se aabhar.
मुकद्दर की बात.
हुकूमत के साथ-साथ ही दफ्तर बदल गए.
आदरणीय AVINASH S BAGDE साहब,
सुन्दर रचना की है आपने| सही बात है, सब मुकद्दर का ही खेल है, मुकद्दर अगर थोडा-बहुत बन सकता है तो सिर्फ कर्म से ही|
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