For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इच्छायें और चाहतें -- डॉo विजय शंकर

चाहतें इतनी ,
ये मिल जाता ,
वो मिल जाता ,
जो चाहा वो मिल जाता ,
कितना अच्छा हो जाता ।
चाहतें ही चाहतें
इच्छाओं की क्या कहें ,
पनपती ही नहीं ,
चाहतें हैं कि कम होती ही नहीं ,
इच्छायें है कि जनम लेतीं ही नहीं ,
इच्छा को इच्छा - शक्ति चाहिये ,
तभी फलीभूत होती है ,
चाहतें स्वयं सशक्त होती हैं।
बढ़ती हैं, अपने आप ,
देख के दूसरों को बढ़ती हैं ,
इच्छाएं नहीं बढ़ती हैं ,
स्वयं तो बिकुल नहीं ,
इच्छा को वहां भी शक्ति चाहिये ,
चाहतें तो उत्कण्ठा होती हैं ।
उनकीं भी चाहतें हैं ,
बड़ी-बड़ी , गहरी-गहरी , तीव्र वाली,
वो उनकीं पूर्ति में लगे रहते हैं, पूरे मनोयोग से,
इच्छाओं के लिए वे जन-समुदाय को देखतें हैं ,
चाहते हैं ,जन-समुदाय इच्छा पैदा करे,
देश के लिए कुछ करे,
इच्छा - शक्ति विकसित करे ,
देश का कल्याण करे ,
जन-समुदाय की इच्छा क्या माने रखती है,
पांच वर्ष पर मुखरित होती है ,
बाकी ,उनकीं चाहतों के नीचे दबी रहती है,
इच्छा को शक्ति मिले कहाँ से ,
जब उनकी नीयत ही नहीं होती है ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Views: 534

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 27, 2015 at 12:57am
बहुत बहुत आभार , आदरणीय सुश्री मीणा पाठक जी , सादर
Comment by Meena Pathak on March 26, 2015 at 9:06pm

बहुत सुन्दर रचना सर | सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 26, 2015 at 10:48am
आदरणीय हरी प्रकाश गुप्ता जी , आपको रचना पसंद आई , आपका आभार , आपकी बधाई एवं शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद, सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on March 26, 2015 at 9:32am

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर , सुन्दर रचना है ,.........चाहतें हैं कि कम होती ही नहीं ,
इच्छायें है कि जनम लेतीं ही नहीं ,......चाहत और इच्छा....एक अलग प्रकार का विश्लेषण , हार्दिक बधाई ! सादर

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 26, 2015 at 3:49am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , आपको स्पष्ट स्वीकृति एवं प्रशस्ति हेतु आपका आभार , आपकी बधाई हेतु धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 26, 2015 at 3:48am
आदरणीय डॉo आशुतोष मिश्रा जी , आपको रचना अच्छी लगी , आपका आभार , आपकी बधाई हेतु धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 26, 2015 at 12:59am
आदरणीय मोहन सेठी जी , आपको रचना पसंद आई , उसे सार्थकता मिली , आभार , धन्यवाद , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 25, 2015 at 10:36pm

आदरणीय विजय भाई , हमेशा की तरह एक और सच्चाई से रू बरू  कराती आपकी रचना के लिये हार्दिक बधाई !

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2015 at 5:09pm

आदरणीय विजय सर ..वर्तमान पर्द्रिश्य पर सुंदर कटाक्ष करती शानदार रचना के लिए तहे दिल बधाई सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 25, 2015 at 11:40am

आदरणीय सही कहा आप ने ....

पांच वर्ष पर मुखरित होती है ,
बाकी ,उनकीं चाहतों के नीचे दबी रहती है,
इच्छा को शक्ति मिले कहाँ से ,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service