इस दुनिया में
हर आदमी की
अपनी एक दुनिया होती है।
वह इस दुनिया में
रहते हुए भी अपनी
उस दुनिया में रहता है।
उसी में रह कर रहता है ,
उसी में सोचता है ,
उसी में जीता है।
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वो बेहद खुशनसीब हैं
जो रिश्तों को जी लेते हैं ,
वफ़ा के लिए जी लेते हैं ,
वफ़ा के लिए मर जाते हैं ,
बाकी तो सिर्फ ,इन्हें
निभाते-निभाते मर जाते हैं।
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय समर कबीर साहब , आपका आभार , सादर।
ये जानकर मन हल्का हो गया कि आप सपरिवार कुशल हैं,आगे भी अपना ध्यान रखिएगा ।
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , अमेरिका अपेक्षाकृत काफी प्रभावित रहा है और अभी भी है। लॉक डॉउन और social distancing यहां भी चल रही है , स्कूल , कॉलेजेस बंद हैं , पर उतनी कठोरता नहीं है , लोग आवश्यकतानुसार कार से घर के बाहर आते जाते रहते हैं , सामान सब online आ जाता है। मैं मैसेच्येसेट के
वॉलपोल शहर में हूँ , यहां स्थिति बेहतर है , लोग घूमने टहलने भी निकलते हैं , पर चूँकि मकानात एक दूसरे से काफी काफी दूर दूर हैं अतः आपस में दूरियां स्वाभाविक रूप से बनी हुईं हैं। मास्क का प्रयोग सभी लोग कर रहे हैं , औफिस वगैरह बंद हैं , लोग work from home से काम करते हैं। एक अत्यंत व्यवस्थिति कार्य शैली होने के कारण जन जीवन भी व्यवस्थित ही है। हम लोग घर पर ही रहते हैं , बच्चे भी स्कूल नहीं जाते अतः उन्हें संभालने में समय आराम से बीत जाता है। हालात ऐसे हैं कि लिखना कम , पढ़ना अधिक हो रहा है।
इतिहास में ही पढ़ा है कि मनुष्य को दो चीज़ों ने आश्चर्यजनक ढंग से बहुत अधिक प्रभावित किया है , एक मृत्यु ने और दूसरे बीमारियों ने , मृत्यु ने उसे आध्यात्मिकता की ओर ले जाने का काम किया और बीमारियों ने , सफाई से नियमित जीवन शैली अपनाने को प्रेरित किया। पर कहीं न कहीं चूक तो होही रही है वरना प्रकृति इतनी कठोर और निष्ठुर तो नहीं है।
सम्प्रति हम कुशल से हैं और आपकी सपरिवार कुशलता चाहते हैं। सादर , शुभकामनाएं।
अमेरिका के हालात की जानकारी है मुझे,इसी कारण से आपकी मुझे बेहद चिंता है,कृपया अपने बारे में बताएँ कि आप वहाँ ख़ैरियत से हैं ,मैं यहाँ ठीक हूँ ।
अमेरिका के हालात की जानकारी है मुझे,इसी कारण से आपकी मुझे बेहद चिंता है,कृपया अपने बारे में बताएँ कि आप वहाँ ख़ैरियत से हैं ,मैं यहाँ ठीक हूँ ।
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , आशा है स्वस्थ, सकुशल होंगे। मैं इस समय अमेरिका में ही हूँ , लौकडाउन यहां भी है। आपकी चिंता, बधाई और उत्साह वर्धन के लिए ह्रदय से आभार , आपकी पारखी नज़र को प्रणाम। सादर।
आदरणीय सुरेन्द्रनाथ सिंह कुशक्षत्रप जी , आपकी प्रतिक्रया हेतु आभार एवं बधाई के लिए धन्यवाद, सादर।
जनाब डॉ. विजय शंकर जी आदाब, काफ़ी समय बाद आपकी रचना ओबीओ पर देख कर प्रसन्नता हुई,आप इंडिया में हैं या अमेरिका में?
दोनों कविताएँ अच्छी हुई हैं,लेकिन इनमें वो क़लम की धार नहीं है,जो आपकी रचनाओं में अक्सर होती है,बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आद0 विजय शंकर जी सादर अभिवादन। अच्छा लिखा है आपने।बधाई स्वीकारें
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