For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जनतंत्र पूर्ण हो जाएगा --- डॉ o विजय शंकर

ये हुकूमतें , ये शान,
ये ऐशो -आराम ,
किस से हैं , किस की बदौलत हैं ,
जिस दिन ये यह अहसास हो जाएगा ,
उस दिन जनतंत्र भी पूर्ण हो जाएगा ॥

बत्तीस रूपये प्रतिदिन में
जिंदगी गुजारने वाले,
किसके बनाये हुए हैं ,
इनकी सोच , इन्होंने ही
एक एक वोट जोड़कर ,
तुझ जैसों को राजा बनाया है ||

महल की ऊपरी आखिरी ईंट तक
बुनियाद की शुक्रगुजार होती है ,
ख्याल कर ,
ये कब से तुझको
इतना ऊंचा उठाये हैं अपने सिर पर ,
इनका तो ख्याल कर ||

मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

Views: 548

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 27, 2015 at 9:03am

आदरणीय डॉ. विजय शंकरजी, आपकी इस रचना के भाव ने गौरवान्वित किया ही अपने देश में आमजन के प्रति व्याप गयी लापरवाही कुछ और चुभती सी लगी. गणतंत्र ही उस आमजन को समृद्ध नागरिक का दर्ज़ा देता है. इस गणतंत्र का अर्थ ही यही था कि आमजन का उत्थान हो. उसे भरपूर अवसर मिले. इस कर्तव्य के परिपालन के क्रम में अभी बहुत कुछ करना है.
सादर बधाइयाँ आपकी इस सुगठित तथा सचेत भावाभिव्यक्ति के लिए.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 27, 2015 at 8:16am

ऐसी हक़ीकत जिसे हर ऊपर वालों को जानना , महसूस करना चाहिये । बहुत सुन्दर रचना , आदरणीय विजय भाई , बधाई ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 26, 2015 at 11:11pm
आदरणीय कांता रॉय जी , मानना पड़ेगा , प्रतिक्रिया की पंक्तियाँ रचना की पंक्तियों से कहीं अधिक सुन्दर हैं, भाव पूर्ण हैं, भाव मूल्यवान हैं, बहुत बहुत आभार। यह भाव जन जन तक हो, तभी कुछ बात बने. आपकी सद्भावनाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सादर।
Comment by kanta roy on January 26, 2015 at 10:34pm
" जिस दिन ये यह एहसास हो जायेगा
उस दिन जनतंत्र भी पूर्ण हो जायेगा "....जागृति के स्वर को पहुँचाता हुआ मन के आँगन में ... कवि का देश के लिए चिंतित मन के भाव । अति सुंदर
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 26, 2015 at 9:48pm
प्रिय मिथिलेश जी, आभार, बधाई के लिए धन्यवाद। गणतंत्र दिवस शुभ हो. सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 26, 2015 at 9:33pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर, बहुत गहरे तक प्रभाव छोडती बेहतरीन कविता... बहुत बहुत बधाई सर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 26, 2015 at 8:27pm
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी , आभार एवं बहुत बहुत धन्यवाद। गणतंत्र दिवस की आपको भी शुभकामनाएं। सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on January 26, 2015 at 6:37pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर, सुन्दर रचना ......बत्तीस रूपये प्रतिदिन में जिंदगी गुजारने वाले.......बहुत खूब ... हार्दिक बधाई ! सादर

 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 26, 2015 at 6:12pm

अनवरत सात दशकों से मात्र  कल्पना सा प्रतीत होता.. न जाने कब पूर्ण होगा...? प्रभावशील रचना आदरणीय डा. विजय जी. बधाई व् गणतंत्र दिवस की ह्रदय से शुभकामनाये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
19 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
19 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
22 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
22 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
22 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service