For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल एक कोशिश

1222 1222 1222 1222

तमन्ना है मेरी दिलबर मुझे थोड़ी वफ़ा दे दो।
महक जाऊ मैं गुलशन में मुझे ऐसी फिजा दे दो।।

दिए हैं लाख दुनियां ने मुझे जो ज़ख़्म सीने पर
न हो अब दर्द मुझको यार कुछ ऐसी दवा दे दो
।।

किया है जुर्म हमने क्या मुझे भी तो पता चलता।
अगर माफ़ी न मिल सकती मुझे हमदम सज़ा दे दो।।


हुई है बेवफाई मुझ से भी अब क्या जहां वालो।
अगर लगता तुम्हे ऐसा मुझे उसकी सज़ा दे दो।।


जुदा होकर मुझे जीना नहीं उनके बिना हरगिज़। 
मिले मेरा सनम मुझको , मुझे ऐसी दुआ दे दो।।

केतन परमार (अनजान )

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 919

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ketan Parmar on August 9, 2013 at 2:15pm
Dr. lalit singh sir ji aap se tarif paa kar ye rachna dhany hui. Apka marg darshan nahi hota toh yaha tak ka safar mumkin nahi tha. samay samay par protsahan diyaa hai aapne abhaar sweekare
Comment by Ketan Parmar on August 9, 2013 at 2:12pm
aadarniy shijju ji waha par ek coma nahi diyaa hai uske liye maafi chahunga
Comment by Neeraj Nishchal on August 9, 2013 at 10:26am
बहुत सुन्दर बहुत उम्दा
Comment by Neeraj Nishchal on August 9, 2013 at 10:26am
बहुत सुन्दर बहुत उम्दा
Comment by annapurna bajpai on August 8, 2013 at 11:24pm

adarniy ketan ji sundar gazal rachna ke liye bahut badhai apko .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on August 8, 2013 at 10:08pm

///तमन्ना है मेरी दिलबर मुझे थोड़ी वफ़ा दे दो।
महक जाऊ मैं गुलशन में मुझे ऐसी फिजा दे दो।।

दिए हैं लाख दुनियां ने मुझे जो ज़ख़्म सीने पर
न हो अब दर्द मुझको यार कुछ ऐसी दवा दे दो
।।///

वाह केतन जी आपने तो कमाल कर दिया ,इस शानदार ग़ज़ल के लिए दिली दाद क़ुबूल करें

//जुदा होकर मुझे जीना नहीं उनके बिना हरगिज़। 

मिले मेरा सनम मुझको मुझे ऐसी दुआ दे दो//

इसमे ''मुझको'' और ''मुझे'' एक साथ लिखना कुछ अजीब सा लग रहा है, केतन जी एक पाठक के तौर पे ये मेरा निजी विचार है, उम्मीद है इसे आप अन्यथा नही लेंगे.

Comment by Dr Lalit Kumar Singh on August 8, 2013 at 9:19pm

अति सुन्दर आ. केतन जी 

 सादर 
Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on August 8, 2013 at 7:23pm

Kya khoob Aadaraniy Ketan ji. Bilkul saras aur pravah yukt. Badhaiya

Comment by Ketan Parmar on August 8, 2013 at 7:19pm

DIDI AAPKA SUKR GUZAAR HOO

Comment by कल्पना रामानी on August 8, 2013 at 7:01pm

सुंदर गजल के लिए बधाई आपको, केतन जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
14 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
14 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service