For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उन्हें ख्वाबो में देखता हूँ

एक कोशिश विरह रस की कविता कहने की आशा है आप सब को पसंद आएगी

फिर से सावन की घटा छाई है
तन्हाई में मुझे तेरी याद आई है
क्यों है दूर मुझसे तू न जानू
क्यों है मजबूर मैं न जानू

है कुछ मेरी भी मज़बूरी 
बिन तेरे मैं भी अधूरी
क्या बताऊ दिल का हाल
करता है मुझे ये बेहाल

तुमसे मैं क्या करू सवाल
मेरा क्या तुम बिन हाल
मैं कहु कैसे मेरी प्रियतम
सहा है कितना मैंने सितम

मैं समझती हूँ तेरे दिल का हाल
तेरे बिन मुझे भी नहीं आता करार 
 यादे तेरी सोने नहीं देती मुझे
आती है आक्सर रातो में मुझे

तुझ बिन न सुर है
न ताल है न लय है
फिर भी मेरा तो
जीना बिलकुल तय है

आज भी सलवटे
बिस्तर की देखता हूँ 
 तेरे संग जो बिताये पल
उन्हें ख्वाबो में देखता हूँ ....... उन्हें ख्वाबो में देखता हूँ.......उन्हें ख्वाबो में देखता हूँ.......उन्हें ख्वाबो में देखता हूँ।।।।

केतन परमार (अनजान )

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 470

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ketan Parmar on July 24, 2013 at 2:16pm

ji dhanyvaad Dr. Prachi Singh ji aapka

saadar sweekare


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 24, 2013 at 11:59am

विरह भाव पर तुकबंदी का प्रयास ठीक है.. लेकिन एक सुन्दर कविता बनने के लिए इस भाव को और अभिव्यक्ति को लंबा सफर पार करना होगा..

सादर शुभेच्छाएँ 

Comment by Ketan Parmar on July 24, 2013 at 10:44am

annapurna bajpai or Abhinav Arun

aapka sukriya

saadar

Comment by Ketan Parmar on July 24, 2013 at 10:43am

sukriyaa adarniya ji

mujhe kavita kahne ka gyan nahi hai bas jo ek mujhe ehsaas hua usi ko shabdo me utarne ki koshish hai


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 24, 2013 at 9:56am

इस सनातन भाव को तनिक और पगने दें,  भाईजी.

आप सुर पर शब्द साधते चले गये हैं परन्तु, कविता के लिहाज़ से इस प्रस्तुति को अभी और सधना होगा.. 

शुभेच्छाएँ

Comment by Abhinav Arun on July 23, 2013 at 9:14pm

भावों को सुन्दर शब्द मिले हैं  बहुत बधाई आपको इस प्रस्तुति पर !!

Comment by annapurna bajpai on July 23, 2013 at 6:46pm

वाह काफी सुंदर ख्वाब बुने , इस रचना के लिए बधाई ।

Comment by Shyam Narain Verma on July 23, 2013 at 3:48pm

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
7 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service