For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

GAZAL-मेरा मज़हब यही सिखाता है !! SALIM RAZA REWA

                   ग़ज़ल 
मेरा  मज़हब  यही  सिखाता है !!
सारी  दुनिया  से    मेरा नाता  है !!
 
ज़िन्दगी कम  है बाँट  ले खुशियाँ !!
दिल किसी का तू  क्यूँ  दुखाता है !!
 
हर  भटकते  हुए  मुसाफ़िर को !!
सीधा   रस्ता  वही  दिखाता है !! 
 
चहचहाते   हुए  परिन्दों   को !!
कौन   दाना  यहाँ  चुग़ाता  है !!
 
दुश्मनों  के  तमाम  चालों  से !!
मेरा  रहबर  मुझे   बचाता  है !!
 
दोस्त उसको ही बस कहा जाए !!
मुश्किलों में  जो काम आता   है !!
 
दुश्मनों से भी बढ़ के है वो  रज़ा  !! 
रास्ते  में  जो  छोड़  जाता   है  !!   

Views: 513

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 3, 2013 at 10:48am

ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई.. . मक्ते ने तो कमाल किया हुआ है !!

वाह वाह !!

Comment by वीनस केसरी on March 3, 2013 at 1:53am

दुश्मनों से भी बढ़ के है वो  रज़ा  !! 
रास्ते  में  जो  छोड़  जाता   है  !!  

क्या कहने
बहुत खूब
शानदार ग़ज़ल हुई है ...

Comment by ram shiromani pathak on March 2, 2013 at 2:52pm

मेरा  मज़हब  यही  सिखाता है !! 
सारी  दुनिया  से    मेरा नाता  है !!

वाह बहुत खूब!!!आदरणीय रज़ा जी 

Comment by Abhinav Arun on March 2, 2013 at 2:02pm
चहचहाते   हुए  परिन्दों   को !!

कौन   दाना  यहाँ  चुग़ाता  है !!

waah kya khoob sher hai shaandaar dili mubarakbaad salim ji !

Comment by pawan amba on March 2, 2013 at 5:45am

bahut khub likha sir..

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on March 2, 2013 at 12:42am

मेरा  मज़हब  यही  सिखाता है !!
सारी  दुनिया  से    मेरा नाता  है !!

वाह बहुत खूब!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service