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एडमिन 

२०१५०३१९०७ 

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Comment by Naveen Mani Tripathi on March 18, 2015 at 1:23pm
आदरणीय श्याम मठ पाल जी सादर आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on March 18, 2015 at 1:20pm
आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी
यहाँ नेट की सेवा उचित ढंग से नहीं प्रदान हो रही है । यह महत्वपूर्ण कारण है ।
गजलें दिल की जज्बातों से लिखता हूँ वज़्न लिखना
मुझे महत्वपूर्ण नहीं लगता । आशा है आप मेरे विचार से सहमत हो जाएंगे ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on March 18, 2015 at 1:12pm
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सादर आभार बन्धु ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 18, 2015 at 12:19pm

नवीन भाई

आपको पुनः  बधाई  .  गजल का वज्न  भी लिखा करे  और प्रतिक्रियाओ  का जवाब भी दें . सादर . 

Comment by Shyam Mathpal on March 18, 2015 at 11:09am

आदरणीय नवीन मनी त्रिपाठी जी ,
सुंदर रचना के लिए बधाई .

Comment by Shyam Narain Verma on March 18, 2015 at 10:40am
उम्दा गज़ल के लिए ढेरों मुबारकबाद ....

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