For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लड़की को डायरिया थी।आज उसे इस तीसरे नामी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।रिपोर्ट की फाइलें साथ थीं।घरवाले परेशान थे,पर हॉस्पिटल तो जैसे देवालय हो।सब लोग बड़े आराम से अपनी अपनी ड्यूटी में लगे थे।डॉक्टर आया।सुना था कि बड़ा डॉक्टर है।उसने सरसरी निगाह से कुछ ताजा रिपोर्टें देखी।फिर दवाएं लिखने लगा।तीमारदारों में से एक ने यूरिन कल्चर की रिपोर्ट की तरफ इंगित करना चाहा,पर डॉक्टर ने कोई तवज्जो नहीं दी।दवाएं लिख दी।इलाज शुरू हुआ।लड़की की तबीयत बिगड़ती ही गई।पेट फूलता जा रहा था।फिर रात को घरवालों ने डॉक्टर की लिखी ताजा दवा बंद कर दी।लड़की को कुछ चैन मिला।
सुबह पड़ताल शुरू हुई।जूनियर डॉक्टर ने कल्चर की रिपोर्ट देखी।रात को लिखी डॉक्टर की दवा से मिलान कर तो बोली,
"यह दवा रेसिस्टेंट है।किसने दी?"
"डॉक्टर ने।"
जूनियर डॉक्टर वह कैप्सूल बंद करने को कहकर चली गई।
घरवाले हॉस्पिटल के डायरेक्टर से मिले। बाहर से डॉक्टर बुलाकर लड़की की जांच कराने की बात की।डायरेक्टर ने हॉस्पिटल की पॉलिसी का हवाला देकर मना कर दिया। हां, मरीज की बेहतर देखभाल का उसने आश्वासन जरूर दिया।
जब दवा और रिपोर्ट की चर्चा हुई,तो डायरेक्टर बोला,
"इससे कुछ खास दिक्कत नहीं होगी। हां,यह दवा कुछ काम नहीं करेगी।"
"यानी बेमतलब की दवा मरीज खाती रहे?"तीमारदार ने झिड़का।
"नहीं,ऐसा नहीं है। सिन्हा जी अच्छे डॉक्टर हैं।"
"हां,वो तो सामने है।"
"चलिए जरा हम मरीज को देखते हैं।" डायरेक्टर ने बात घुमाने की कोशिश की। वे लोग लड़की के कमरे की तरफ बढ़े।

मरीज के कमरे से निकलते हुए डायरेक्टर कह रहा था, "हम पूरा ध्यान रखेंगे।आप निश्चिंत रहें।"
फिर एक वार्ड के एक बेड के पास से बूढ़ी औरत हस्पताल वालों को कोस रही थी,
"अरे नासपीटो! मेरा बेटा...... हाय.....मार डाला तुम लोगों ने उसे।"
"क्या हुआ माताजी?"डायरेक्टर बोला
"अरे मवाली है इस हस्पताल का मालिक।पहले उसका बेटा मरा।अब औरों के बेटों को मार रहा है हारामजा दा।"
"ऐं....ऐसा ?"डायरेक्टर इतना ही कह पाया।
"ऐ सा ..? बताऊं तुम्हे?"
"हां।"
"तो सुन।मेरा बेटा कल गुजर गया था।हॉस्पिटल के हरामजादों ने बताया कि नब्ज चालू है।टेस्ट किए।इलाज के नाम पर लाखों रुपए ऐंठे।...और आज सच उगल दिया लफंगों ने।"
"भरोसा नहीं होता।बड़े बड़े डॉक्टर हैं यहां।महंगी मशीनें हैं।"
"इसीलिए यहां यह सब होता है।पर तू है कौन रे, जो इनकी इतनी तरफदारी करता है?"
"म म.. मैं..।"डायरेक्टर इतना ही कह पाया।उसकी सांसें उखड़ गईं।वह चलने लगा।लड़की के तीमारदार बोले,"अरे भाई डायरेक्टर साहब!माताजी का आशीष तो लेते जाओ"
फिर वह बूढ़ी जूते हाथ में लिए डायरेक्टर के पीछे दौड़ी।वह उसे पहचान चुकी थी।डायरेक्टर भागने लगा।
"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 371

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on April 10, 2020 at 12:07pm

आभार आदरणीय।

Comment by Samar kabeer on January 3, 2020 at 3:39pm

जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।कि

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service