For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कैसे कहू मैं दिल की .....

कैसे कहू मैं दिल की ......
दिल में ही रह गई .
ख्वाब अधुरा रह गया ,
ख्वाबो पे छुरी चल गई  ,
कैसे कहू मैं दिल की ......
दिल में ही रह गई .
बालपन की मन में ब्यथा ,
तन सयानी हो गई ,
लोगो की नजरो में आना ,
जवानी दुश्मन हो गई 
कैसे कहू मैं दिल की ......
दिल में ही रह गई .
अपने होते ख्वाबें होती ,
मन की मुरादें मिल जाती ,
अपनों ने जो दगा किया ,
जिगर ये छलनी कर गई ,
कैसे कहू मैं दिल की ......
दिल में ही रह गई .

Views: 645

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rash Bihari Ravi on July 12, 2011 at 1:13pm
dhanyabad sir
Comment by GOPAL BAGHEL 'MADHU' on July 11, 2011 at 7:33pm
Bahut sundar
Comment by Rash Bihari Ravi on July 7, 2011 at 1:54pm
dhanyabad neelam ji lata ji ewam dat sahab
Comment by डॉ. नमन दत्त on July 5, 2011 at 7:45am
सुन्दर... सरल... सहज...सुगम्य गीत....साधुवाद.
Comment by Lata R.Ojha on July 5, 2011 at 12:21am
bahut khoob :)
Comment by Neelam Upadhyaya on July 4, 2011 at 3:56pm
Bahut badhiya.
Comment by Rash Bihari Ravi on July 4, 2011 at 11:54am
ashish ji ambarish ji prabha ji aur shashi ranjan ji aap logo ko bahut bahut dhanyabad
Comment by Shashi Ranjan Mishra on July 3, 2011 at 10:10pm

यार मत रख दिल मे दिल की बात
रोग होंगे कई, पक्षाघात-हृदयाघात :P

 

bahut badhiya guru ji.... badhayi

Comment by Prabha Khanna on July 3, 2011 at 12:38pm
रवि भाई... Very well said :)) Full of emotions...
Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 3, 2011 at 12:31pm
भाई रवि कुमार जी......... बहुत अच्छा प्रयास किया है आपने ..........बधाई .......
दिल की दिल में रह गयी, बिसरी अब तो याद.
अपनों से अब क्या गिला, सब कुछ जो बर्बाद..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
13 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service