For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आई थी सूचना गाँव में

बीते मास तेहरवीं तारीख़
तीन बजे अपरान्ह में
आई थी सूचना गाँव में
कि गाँव का होरी जो दिवाली पर आने को था
अब कभी नहीं आएगा
कि अपनी सरहद के काफी भीतर
कोई बड़ी राष्ट्रीय शरारत हो गई थी
फ़ौजी होरी की शहादत हो गई थी
आई थी सूचना गाँव में
कि
गाँव का होरी जो दिवाली पर आने को था
वह अब कभी भी नहीं आएगा
वह तिरंगे के लिए जान दे गया था
इसलिए तिरंगे में ले आया जाएगा
गाँव ने सूचना सुन ली थी पर पचा नहीं पाया था
गाँव पहेली हो गया था सुलझा नहीं पाया था
प्रश्न उबल रहा था मगर उत्तर मौन था
युद्ध जो नहीं था तो मारने वाला कौन था
किसी अख़बार ने किसी इश्तिहार ने
किसी भी चीख़ ने किसी भी पुकार ने
नहीं कहा था युद्ध
या गाँव बहरा हो गया था
राज़ था खुले आम कोई
जो और गहरा हो गया था
कि युद्ध हुआ था अथवा नहीं हुआ था
हुआ था तो कहाँ किस के लिए हुआ था
प्रश्न उबल रहा था मगर उत्तर मौन था
होरी मरा था तो मारने वाला कौन था
सरहद की सरहद थी तो फिर सीमा कहाँ थी
सीमा कब लांघी गई सीमा कहाँ -कहाँ थी
सीमा के आर - पार कौन कौन कौन था
प्रश्न उबल रहा था मगर उत्तर मौन था
कि
युद्ध घोषित हुआ नहीं तो
कैसे घोषित हो गए शहीद
होरी ,पंसेरी और फैनी फरीद
सूचना ने होरी का मरना बताया था
तो माटी से माटी मिलान निश्चित होना ही था
शहादत या शरारत थी रस्मों को ढोना ही था
तो सब कुछ होना ही था जैसे हो पाता है
सधवा सा रंग ढंग विधवा हो जाता है
तभी अचानक उछली फिर एक सूचना
कि पूर्वस्थिति बहाल हो गई है
कि स्थिति है कि कमाल हो गई है
सिदूर पोंछते चूड़ियाँ तोड़ते
पिंड श्मशान का सामान जोड़ते
रुक गए हाथ
सूचना सरकारी थी बेहद ज़रूरी थी
सच सच मानना अब भी मजबूरी थी
पूर्वस्थिति बहाल कहा तो हुई ही होगी
ठंडी क्या राख ऐसे ही हुई होगी
प्रश्न फिर उबले थे उत्तर अब भी मौन थे
जिनकी बहाल हुई वो लोग कौन थे ???
--------------
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 379

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on July 19, 2019 at 10:55am

मुहतरमा अमिता जी आदाब,अच्छी रचना हुई,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by pratibha pande on July 16, 2019 at 9:42am
प्रश्न उबल रहा था मगर उत्तर मौन था
कि
युद्ध घोषित हुआ नहीं तो
कैसे घोषित हो गए शहीद
होरी ,पंसेरी और फैनी फरीद// सीमा पर सालों से जारी छद्म युद्ध पर बहुत गहन रचना हार्दिक बधाई आदरणीया अमिता जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आयोजन में आपकी उपस्थिति और आपकी प्रस्तुति का स्वागत…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आप तो बिलासपुर जा कर वापस धमतरी आएँगे ही आएँगे. लेकिन मैं आभी विस्थापन के दौर से गुजर रहा…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service