For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हर पन्ने पे होंगीं बलात्कार की खबरें,
इसलिए अखबार पढ़ने का मन नही करता।

परिवार की जड़ें उखड़ कर वृद्धाश्रम में आ गईं,
अब बच्चों को संस्कारी कहने का मन नही करता।

नंगी सड़क पे बचाओ बचाओ पूरे दिन चिल्लाता रहा,
फिर भी उसपे विश्वास करने का मन नही करता।

शरीर के इंच इंच पे, मैं राष्ट्रभक्त हूँ गुदवा रखा था,
फिर भी उसकी राष्ट्रभक्ति पढ़ने का मन नही करता।

कोई मोब्लिंचिंग तो कोई चमकी में मरा होगा इसलिए,
अब सुबह जल्दी उठकर सूरज देखने का मन नही करता।

सीमाओं से आते हैं हर रोज शहीदों के ताबूत,
परिजनों का ये दर्द अब और सहने का मन नही करता।

डॉ हृदेश चौधरी

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 666

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 10, 2019 at 4:48pm

बहुत सुन्दर समसामयिक रचना, बधाई स्वीकारे आदरणीया डॉ. हृदेश चौधरी जी! 

Comment by vijay nikore on July 10, 2019 at 4:30pm

सुन्दर रचना के लिए बधाई, आदरणीया हृदेश जी।

Comment by Samar kabeer on July 3, 2019 at 3:20pm

मुहतरमा  डॉ हृदेश चौधरी जी आदाब,बढ़िया रचना हुुुई है,बधाई लेें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 3, 2019 at 9:03am

हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ हृदेश चौधरी जी।लाज़वाब रचना।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri is now a member of Open Books Online
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post ठहरा यह जीवन
"आदरणीय अशोक भाईजी,आपकी गीत-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ  एक एकाकी-जीवन का बहुत ही मार्मिक…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. रवि जी "
16 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"स्वागत है आ. रवि जी "
16 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश जी जुलाई में इंदौर आ रहा हूँ मिलत है फिर ।  "
19 hours ago
Ravi Shukla commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"      आदरणीय अजय जी ग़ज़ल के प्रयास केलिये आपको बधाई देता हूँ । ऐसा प्रतीत हो रहा है…"
19 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आदरीणीय नीलेश जी तरही मिसरे पर मुशाइरे के बाद एक और गजल क साथ उपस्थिति पर आपको बहुत बहुत मुबारक बाद…"
20 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"सोलह गाफ की मात्रिक बहर में निबद्ध आपकी प्रस्तुति के कई शेर अच्छे हुए हैं, आदरणीय अजय अजेय जी.…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. अजय जी,क़ाफ़िया उन्मत्त तो सुना था उन्मत्ते पहली बार देखा...तत्ते का भी अर्थ मुझे नहीं पता..उतना…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)

लोग हुए उन्मत्ते हैं बिना आग ही तत्ते हैंगड्डी में सब सत्ते हैं बड़े अनोखे पत्ते हैंउतना तो सामान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post गजल - जा तुझे इश्क हो // -- सौरभ
"क्या अंदाज है ! क्या मिजाज हैं ! आपकी शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय नीलेश…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service