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"अंतर्रष्ट्रिय  महिला दिवस पर विशेष"

सिर्फ माँ बहन पत्नी बेटी की,

परिभषा में मत उल्झओ

सबसे पहले मैं एक स्त्री हूँ,

मुझे मेरा सम्मन दिलवाओ।।

 

सिर्फ वंश बढाने के लिए ही,

मेरा जन्म हुआ है क्या बतलाओ

दो दायित्व हैं मेरे कांधौ पर,

मैं  डिगूँ तो हौसला बढाओ।।

 

सिर्फ दो वक्त की रोटी ही नही,

कुछ और भी चाहिए परिवार से

घडी दो घडी पास आकर बैठो,

और थोडा ढाँढ्स भी बढाओ।।

 

सिर्फ बातोँ से मत बहलाओ,  

कुछ अलहदा करके दिखलाओ

रोक टोक सिर्फ बेटियोँ पे नहीं,

कभी बेटोँ को भी धमकाओ।।

 

सिर्फ महिला दिवस पर पुष्प गुच्छ,

और दिन भी तो दे आओ

कहो अपनी कुछ सुनो हमारी,

ऐसे प्रीत की रीत निभाओ।।

 

इस बार के महिला दिवस पर,

बस इक ये संकल्प उठाओ

हमें अबला कहना बंद करो अब,

सबलाओ से नज़र मिलाओ।।

.

-प्रदीप देवीशरण भट्ट-

मौलिक व अप्रकशित

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Comment

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Comment by प्रदीप देवीशरण भट्ट on March 14, 2019 at 10:41am

शुक्रिया समर जी एवम अन्य सुधीजनो का 

Comment by Samar kabeer on March 12, 2019 at 9:08am

जनाब प्रदीप भट्ट जी आदाब,महिला दिवस पर अच्छी रचना पेश की आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

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