For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुहब्बत अपनी लोगों ने सियासत से है कम कर ली - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२


जमा पूँजी थी  बरसों  की  जरुरत  ने हजम कर ली
मुहब्बत अपनी लोगों ने सियासत से है कम कर ली।१।


जमाना  अब  तो  हँसने  का  हँसेंगे  सब  तबाही पर
किसी दूजे के गम से कब किसी ने आँख नम कर ली।२।


सदा से नाज था जिसके वचन की सादगी पर ढब
उसी ने आज हमसे भी  बड़ी  झूठी कसम कर ली।३।


मुहब्बत रास आती  क्या  जफाएँ हर तरफ उस में
हमीं ने यूँ हर इक रंजिश खुशी से हमकदम कर ली।४।


बिगड़ जाती थी जो छोटी बड़ी हर बात पर हमसे
वही तकदीर मुट्ठी में  कसम  से अपने दम कर ली।५।


मिली हिस्से में जितनी थी नहीं जब रास आई तो
बढ़ा कर हर परेशानी  हमीं  ने  यूँ  अगम कर ली।६। 
*******
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 467

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on March 1, 2019 at 3:50pm

//हजम शब्द हिंदी में इसी रूप में प्रयोग होता है अतः मैंने भी प्रयोग किया । क्या ऐसा प्रयोग अनुचित है ?//

भाई,"हज़्म" शब्द अरबी भाषा का है इसलिए इसे हिन्दी भाषा के हिसाब से प्रयोग करना तो उचित नहीं होगा न?आप इस शब्द को इसके सहीह उच्चारण के साथ ही प्रयोग करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 1, 2019 at 3:38pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सलाह के लिए आभार । 

हजम शब्द हिंदी में इसी रूप में प्रयोग होता है अतः मैंने भी प्रयोग किया । क्या ऐसा प्रयोग अनुचित है ? मार्गदर्शन कीजिए ।

तीसरे शेर को संप्रेषणीय बनाने का शीघ्र रयास करता हूँ।

Comment by Samar kabeer on February 25, 2019 at 2:20pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर'जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।

'जमा पूँजी थी  बरसों  की  जरुरत  ने हजम कर ली'

आपकी जानकारी के लिए बता रहा हूँ कि इस मिसरे में सहीह शब्द "हज़्म"21 है,देखियेगा ।

'सदा से नाज था जिसके वचन की सादगी पर ढब
उसी ने आज हमसे भी  बड़ी  झूठी कसम कर ली।'

इस शैर का भाव स्पष्ट नहीं है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
2 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
14 hours ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
22 hours ago
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
yesterday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service