For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

थम रही हैं क्यों नहीं ये सिसकियाँ (२५ )

थम रही हैं क्यों नहीं ये सिसकियाँ 
क्यों परेशां हैं चमन में तितलियाँ 
***
साल सत्तर से भले आज़ाद हैं 
आज भी सजती बदन की मंडियाँ
***
अब घरों में भी कहाँ महफ़ूज़ हैं 
ख़ौफ़ के साये में रहती बेटियाँ 
***
ये बशर कैसी तेरी मर्दानगी 
मार देता क्यों है नन्ही बच्चियाँ 
***
कहते हैं हम बेटा-बेटी एक से 
फ़र्क़ बाक़ी है नज़र के दरमियाँ 
***
गर तरक़्क़ी की डगर पर चल पड़े 
गिरने बेटी पर हैं लगती बिजलियाँ 
**
दुख्त* पर लागू पुराने क़ायदे 
हैं जियादातर वही पाबन्दियाँ 
***
बाप बेटी का परेशां आज भी 
फ़िक़्र की रहती है छाई बदलियाँ 
**
है विदाई का वही मंज़र 'तुरंत '
सिसकियाँ शहनाइयाँ और हिचकियाँ 
***
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' बीकानेरी 

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 519

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 14, 2019 at 2:36pm

आदरणीय Samar kabeer साहेब , मद्दाह में दुख्त और दुख्तर ही लिखा है | हालाँकि जैसा आपने बताया मद्दाह पर भरोसा करना मुश्किल है | एक और प्रयोग में भी दुख्त =बेटी ही है | (यहाँ नुक्ता यूनिकोड में नहीं आ रहा है )

बे-दुख़्त-ए-रज़بے دخت رز

without daughter of grapes, wine

Comment by Samar kabeer on February 14, 2019 at 11:04am

"दुख़्त" दुख़्तर का मुख़फ़्फ़फ़् नहीं "दुख़" है,देखियेगा ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 14, 2019 at 2:08am

आदरणीय Samar kabeer साहेब | आदाब | इतना ध्यान रखा फिर भी एक हैं की गलती रह ही गई | आपकी हौसला आफजाई के लिए शुक्रगुजार हूँ | दुख्त =बेटी /कन्या का अर्थ लिया है जिसे दुख्तर  का लघु माना जाता है | 

Comment by Samar kabeer on February 13, 2019 at 4:31pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'अब घरों में भी कहाँ महफ़ूज़ है '

इस मिसरे में 'है' को "हैं" कर लें ।

'दुख्त* पर लागू पुराने क़ायदे'

इस मिसरे में 'दुख्त' का क्या अर्थ लिया है आपने? 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service