For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब आपकी नज़र में वफ़ा सुर्ख़रू नहीं (२७ )

(२२१ २१२१ १२२१ २१२ )
जब आपकी नज़र में वफ़ा सुर्ख़रू नहीं 
दिल में हमारे इश्क़ की अब आरजू नहीं 
**
रुसवा किये बिना किसी को हों जुदा जुदा 
गलती से प्यार को करें बे-आबरू नहीं 
**
रिश्तों की सीवनों पे ज़रा ग़ौर कीजिये 
उधड़ीं जो एक बार तो होतीं रफ़ू नहीं 
**
उस मुल्क की अवाम के बढ़ने हैं रंज-ओ-ग़म 
जिस मुल्क में मुहब्बतों की आबजू नहीं 
**
अपने वतन के वास्ते करते न जां निसार 
उनके बदन में आब है बहता लहू नहीं 
**
अवतार कोई सूरमा लेता न तब तलक 
जब तक जहाँ में पाप का भरता सुबू नहीं 
**
ढूंढे बशर ख़ुदा को जहाँ में इधर उधर 
करता मगर है ख़ुद की कभी जुस्तजू नहीं 
**
जो उठ रहे जहाँ में मसाइल बड़े बड़े 
इसका सबब है आपसी अब गुफ़्तगू नहीं 
**
करता 'तुरंत' बात सुख़न में भी साफ़ साफ़ 
हो मसअला कोई भी प खू-ए-ग़ुलू नहीं 
***
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' बीकानेरी |
१४/०२/२०१९ 
(मौलिक एवं अप्रकाशित )

सुर्ख़रू=सम्मानित ,खू-ए-ग़ुलू=*अतिश्योक्ति की आदत

Views: 434

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on February 17, 2019 at 11:15am

'ग़लत'12 होता है,'ग़ल्त'कोई शब्द ही नहीं,ये शायद पंजाबी उच्चारण है ।

"ग़लती" 112 इसलिए है कि 'गेन' पर और 'लाम' दोनों पर 'ज़बर' होता है,इस शब्द को लिख कर विस्तार से समझाना मुश्किल है,बोल कर बहतर तौर पर समझा सकता हूँ,आप अपना मोबाइल नम्बर दें तो इस बात को स्पष्ट आसानी से कर सकूंगा ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 16, 2019 at 4:34pm

आदरणीय Samar kabeer साहेब आदाब | आपकी हौसला आफजाई के लिए ह्रदय तल से आभार | गलती =११२ भी हो सकता है यह तो आज ही पता चला | आम तौर पर दो लघु पास आने पर ११=२ ही होता देखा है | ग़लत =१२ और ग़ल्त =२१ भी लोगों को लेते हुए देखा है | संभव हो और समय हो तो विस्तार से समझाएं कि ग़लती =११२ लेने के पीछे क्या आधार है | 

Comment by Samar kabeer on February 16, 2019 at 2:23pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

'गलती से प्यार को करें बे-आबरू नहीं'

इस मिसरे में "ग़लती" शब्द का वज़्न 112 होता है,देखियेगा ।

'उस मुल्क की अवाम के बढ़ने हैं रंज-ओ-ग़म '

इस मिसरे में तनाफ़ुर देखें,'मुल्क' को "देश"कर सकते हैं ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 14, 2019 at 2:43pm

amod shrivastav (bindouri)  जी आपकी स्नेहिल सराहना के लिए हार्दिक आभार | 

Comment by amod shrivastav (bindouri) on February 14, 2019 at 11:01am

 आ दादा रचना की बधाई 

सभी अर्शआर अच्छे लगे ...नमन

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
35 minutes ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
2 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service