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हर लम्हा इक चोट नई थी मुझ पर क्या गुजरी होगी
मेरी हस्ती टूट रही थी मुझ पर क्या गुजरी होगी

मेरे पाँव में इक कांटे से तुझको कितना दर्द हुआ
जब तू शोलों से गुजरी थी मुझ पर क्या गुजरी होगी

जिन सपनों को हमने मालिक के हाथों में सौंपा था
उन सपनों में आग लगी थी मुझ पर क्या गुजरी होगी

सारे रस्ते आकर के जिस रस्ते पर मिल जाते हैं
उस रस्ते पर पीर घनी थी मुझ पर क्या गुजरी होगी

छोड़ के सारी दुनियादारी कागज कलम उठाया था
लफ्ज़ों में तासीर नहीं थी मुझ पर क्या गुजरी होगी

झेल नहीं पाया मैं यारो तकलीफ़ों की आंधी को
लोगों को उम्मीद यही थी मुझ पर क्या गुजरी होगी

मौलिक और अप्रकाशित

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Comment by शिज्जु "शकूर" on February 12, 2019 at 7:36am

आ. मनोज अहसास जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है, मोहतरम समर कबीर साहिब की इस्लाह से और निखार आ गया है। सादर बधाई आपको

Comment by मनोज अहसास on February 8, 2019 at 10:13pm

आदरणीय समर कबीर साहब सादर प्रणाम

ये हम लोगों का सौभाग्य है कि हम आपकी देख रेख में हैं आपके सामने आकर ग़ज़ल बोलने लगती है खुद ब खुद उसके दोष दूर हो जाते हैं

आपका सादर आभार

Comment by मनोज अहसास on February 8, 2019 at 5:29pm

आदरणीय समर कबीर साहब सादर प्रणाम

ये हम लोगों का सौभाग्य है कि हम आपकी देख रेख में हैं आपके सामने आकर ग़ज़ल बोलने लगती है खुद ब खुद उसके दोष दूर हो जाते हैं

आपका सादर आभार

Comment by मनोज अहसास on February 8, 2019 at 5:28pm

आदरणीय रक्षिता जी सादर आभार

Comment by Samar kabeer on February 8, 2019 at 4:09pm

जनाब मनोज अहसास जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'मेरे पाँव में इक कांटे से तुझको कितना दर्द हुआ'

इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखें,मिसरा यूँ कर सकते हैं:-

'देख के मेरे पाँव में काँटा तुझको कितना दर्द हुआ'

'जिन सपनों को हमने मालिक के हाथों में सौंपा था '

इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखें,'मालिक' की जगह "मौला" कर सकते हैं ।

'सारे रस्ते आकर के जिस रस्ते पर मिल जाते हैं'

इस मिसरे में 'आकर' शब्द के साथ 'के'उचित नहीं, यूँ कर सकते हैं:-

'जिस रस्ते पर आकर ये सारे रस्ते मिल जाते हैं'

'लफ्ज़ों में तासीर नहीं थी मुझ पर क्या गुजरी होगी'

इस मिसरे में 'लफ़्ज़' का बहुवचन "अल्फ़ाज़" होता है,'लफ़्ज़ों' की जगह "शब्दों" कर लें ।

Comment by रक्षिता सिंह on February 8, 2019 at 2:34pm

 आदरणीय मनोज जी नमस्कार 

बहुत सुंदर पंक्तियाँ, हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

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