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फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन फेलुन

क़ैद मैं, कैसे दायरे में हूँ

कौन है जिसके सिलसिले में हूँ

आप तो मीठी नींद सोते हैं

और मैं सदियों से रतजगे में हूँ

अब नहीं कोई फ़िक्र दुनिया की

चैन से अपने मक़बरे में हूँ

मुझको मंज़िल मिली नहीं अब तक

एक मुद्दत से रास्ते में हूँ

उनकी यादों को भूलना है मुझे

यूँ मैं 'संतोष' मैकदे में हूँ

~संतोष_खिरवड़कर

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by santosh khirwadkar on December 28, 2018 at 9:40pm

आ.सिंग जी , शुक्रिया!!!!

Comment by PHOOL SINGH on December 28, 2018 at 2:31pm

अच्छी ग़ज़ल बधाई स्वीकारें

Comment by santosh khirwadkar on December 28, 2018 at 9:29am

प्रणाम आदरणीय श्री समर साहिब, बहुत-बहुत शुक्रिया!!!

Comment by Samar kabeer on December 27, 2018 at 7:12pm

जनाब संतोष जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

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