For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक गीत मार्गदर्शन के निवेदन सहित: मनोज अहसास

आज मन मुरझा गया है

मर गई सब याचनाएं
धूमिल हुई योजनाएं
एक बड़ा ठहराव जैसे ज़िन्दगी को खा गया है
आज मन मुरझा गया है

खुरदरी सी हर सतह है
आंसुओ से भी विरह है
वेदना का तेज़ झोंका मेरा पथ बिसरा गया है
आज मन मुरझा गया है

किसलिये बाकी ये जीवन
किसलिये सांसों का बंधन
भावना ,विश्वास पर जब घुप अंधेरा छा गया है
आज मन मुरझा गया है

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 513

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on January 24, 2019 at 9:51am

आदरणीय मित्रों का हार्दिक आभार

सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 21, 2018 at 4:06pm

आ. भाई मनोज जी, सुंदर गीत हुआ है । हार्दिक बधाई ।

Comment by PHOOL SINGH on December 17, 2018 at 2:53pm

एक अच्छी रचना बधाई स्वीकारे

Comment by मनोज अहसास on December 17, 2018 at 12:12pm

सादर आभार आदरणीय कबीर साहब

Comment by Samar kabeer on December 17, 2018 at 11:01am

जनाब मनोज अहसास जी आदाब,गीत का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

मर गई सब याचनाएं'

इस पंक्ति में 'गई' को "गईं" करें ।

' धूमिल हुई योजनाएं'

इस पंक्ति में 'हुई' को "हुईं" करें ।

' एक बड़ा ठहराव जैसे ज़िन्दगी को खा गया है'

इस पंक्ति में 'एक' को "इक" करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"चर्चा पर विराम के उपरॉंत मेरा कुछ कहना उचित नहीं, बस एक बात जिस पर सबकी सहमति होगी, यह है…"
3 minutes ago
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वाह क्या माहौल है, क्या ख़ूब चर्चा हो रही है रचनाओं पर। बहुत समय बाद ऐसा माहौल देखा ओ. बी. ओ. पर,…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. गिरिराज जी,ग़ज़ल के अशआर में कसावट कम है. कई जगह वाक्य विन्यास काम-चलाऊ है जो आपके स्तर का कतई…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. सौरभ सर जिस दीये में रौशनी होगी वही फड़फड़ाता भी दिखाई देगा ..//क्योंकि हम छिछली सोच या…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"धन्यवाद आ. दयाराम जी पढने पढने का फ़र्क़ है . अहिल्या का किसी छोड़ कर किसी उद्धार  कहीं से…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"धन्यवाद आ. गिरिराज जी "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीया रिचा जी,  आपकी प्रस्तुति का हार्दिक स्वागत है. आपके अश’आर पर जहाँ जैसी आवश्यकता…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"यही तो रचनाधर्मिता है. न कि मात्र रचनाकर्म.  आपके कहे का स्वागत है. शुभातिशुभ"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय नीलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुति में जान है. परन्तु, इसका फड़फड़ाना भी दीख रहा है हमें. यह मुझे एक…"
10 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय सौरभ भाई, ग़ज़ल पर चर्चा होती हैं तो सामान्यत: अरूज़ के दोष तक सीमित रह जाती हैं। मेरा मानना…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय तिलकराज जी, मंच पर वाद-विवाद या अन्यथा बकवाद से परे एक दूसरे के कहे पर होती सार्थक चर्चा ही…"
11 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"व्याकरण की दृष्टि से कुछ विचार प्रस्तुत हैं। अकेले में घृणित उदगार भी करते रहे जो दुकाने खोल सबसे…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service