For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चुनौती दे डाली,,,,,,

चुनौती दे डाली ....


खिड़कियों के पर्दों ने
रोशनी के प्रभुत्व को
चुनौती दे डाली

जुगनुओं की चमक ने
अंधेरों के प्रभुत्व को
चुनौती दे डाली

अंतस की पीड़ा ने
आँखों के सैलाबों को
चुनौती दे डाली,........

विरह के अभयारण्य ने
स्मृतियों के भंडारण को
चुनौती दे डाली

बिस्तर की सलवटों ने
क्षणों की चाल को
चुनौती दे डाली

जीत के आसमान को
हार की ज़मीन ने
चुनौती दे डाली

देह के प्रभुत्व को
श्वासों के आरोह -अवरोह ने
चुनौती दे डाली

और

मैं के दम्भ को
मरघट की चिता ने
चुनौती दे डाली


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 499

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 1, 2018 at 3:33pm

आदरणीय राज नवदेवी साहिब , आदाब .... सृजन के भावों पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by राज़ नवादवी on December 1, 2018 at 11:06am

खिड़कियों के पर्दों ने 
रोशनी के प्रभुत्व को 
चुनौती दे डाली

जुगनुओं की चमक ने 
अंधेरों के प्रभुत्व को 
चुनौती दे डाली

वाह, बहुत खूब, चुनौती डे डाली. आदरणीय सुनील सरना जी, सुन्दर कविता की प्रस्तुति पे हार्दिक बधाई. सादर. 

Comment by Sushil Sarna on November 30, 2018 at 2:53pm

आदरणीय नरेन्द्र सिंह चौहान जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on November 30, 2018 at 2:52pm

आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब .... सृजन के भावों पर आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by narendrasinh chauhan on November 28, 2018 at 4:04pm

खूब सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकार कर्रे। 

Comment by Samar kabeer on November 28, 2018 at 3:13pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
17 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service