For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

काँच पत्थर से भले टकरा गया। (ग़ज़ल- बलराम धाकड़)

2122 2122 212

काँच पत्थर से भले टकरा गया।
ज़िंदगी का फ़लसफ़ा समझा गया।

फ़िर सियासत में हुई हलचल कहीं,
मीडिया के हाथ मुद्दा आ गया।

सारी दुनिया एक कुनबा है अगर,
आयतन रिश्तों का क्यों घटता गया?

इक बतोलेबाज की डींगें सुनीं,
आदमी घुटनों के ऊपर आ गया।

फिर किसी औरत का दामन जल गया,
फ़िर किसी का कोई बचपन खा गया।

ज़लज़ले के बाद की तस्वीर में,
देखकर फ़ानी जहां घबरा गया।

वासिते उसके मेरे दिल में दबीं,
लाख गिरहें थीं मगर सुलझा गया।

शुक्रिया! ऐ ज़िंदगानी के चलन,
शायरी के मायने समझा गया।

क्यों किराए की इमारत पर गुमां?
मौत आई, रूह का क़ब्ज़ा गया।

नौकरी पूरी हुई, कुर्सी गई,
शुहरतें रुख़सत हुईं, रुतबा गया।

~मौलिक/अप्रकाशित।

~ बलराम धाकड़ ।

Views: 984

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Balram Dhakar on November 11, 2018 at 10:44am

आदरणीय रवि शुक्ल जी, ग़ज़ल आपको पसंद आई, मेरा लिखना सार्थक हुआ। जी हाँ, सर, मुद्दा शब्द के प्रचलन अनुसार ही इस्तेमाल में कोई अड़चन न हो तो इसे ऐसा ही रहने दें।

सादर।

Comment by Balram Dhakar on November 11, 2018 at 10:42am

आदरणीय अजय तिवारी जी, ग़ज़ल में आपकी शिरक़त और सुझावों हेतु बहुत बहुत शुक्रिया एवं आभार।

सादर।

Comment by Ravi Shukla on November 6, 2018 at 1:22am

आदरणीय बलराम धाकड़ जी,  सुन्दर गजल की प्रस्तुति पे  मुबारकबाद पेश करता हूँ. मुद्दआ 212 के वज्न में होगाशायद देखियेगा आपने बोलचाल का मुद्दा 22 के वजन में लिया है 

Comment by Ajay Tiwari on November 3, 2018 at 7:22pm

आदरणीय बलराम जी, 

वासिते > वास्ते 

फिर किसी औरत का दामन जल गया > जल गया दामन किसी औरत का फिर 

शायरी के मायने समझा गया > शायरी है क्या मुझे/हमें समझा गया 

अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई.

Comment by Balram Dhakar on November 3, 2018 at 3:03pm

आदरणीय लक्ष्मण जी, सादर विनम्र अभिवादन।

आपके प्रोत्साहन का बहुत बहुत आभार।

सादर।

Comment by Balram Dhakar on November 3, 2018 at 3:02pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, आपकी सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

सादर।

Comment by Balram Dhakar on November 3, 2018 at 3:01pm

आदरणीय समर सर, ग़ज़ल में आपकी शिरक़त और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

पाँचवे शेर को दुरुस्त करने की कोशिश करता हूँ।

और मायने का भी भी कोई बेहतर विकल्प खोजता हूँ।

आपकी प्रतिक्रिया का पुनः आभार!

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 3, 2018 at 2:01pm

आदरणीय बलराम धाकड़ साहब सच्चाई को बयां करती बेहतरीन गजल लिखने के लिए हार्दिक बधाई

Comment by Balram Dhakar on November 3, 2018 at 12:45pm

आदरणीय बसंत कुमार जी, ग़ज़ल आपको अच्छी लगी, मेरा लिखना सार्थक हुआ।

सादर

Comment by Balram Dhakar on November 3, 2018 at 12:42pm

बहुत बहुत शुक्रिया, जनाब राज़ साहिब।

आभार!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
5 hours ago
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
14 hours ago
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
18 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
21 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ आयोजन है।.…See More
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
Sunday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service