For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ऐ आसमान ....

क्या हो तुम
आज तक कोई नहीं
छू पाया तुम्हें
फिर भी तुम हो
ऐ आसमान

किसी बेघर की
छत हो
किसी का ख्वाब हो
किसी परिंदे का लक्ष्य हो
या
किसी रूह का
अंतिम धाम हो
क्या हो तुम
ऐ आसमान

नक्षत्रों का निवास हो
किसी चातक की प्यास हो
मेघों का क्रीड़ा स्थल हो
सूर्य का पथ हो
या
चाँद तारों का आवास हो
क्या हो तुम
ऐ आसमान

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 694

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on August 26, 2018 at 1:27pm

आदरणीय  बृजेश कुमार 'ब्रज' .जी. सृजन के भावों को मान देने का दिल से शुक्रिया।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 25, 2018 at 8:50pm

वाह अच्छी कविता हुई आदरणीय

Comment by Sushil Sarna on August 24, 2018 at 3:33pm

आदरणीय नरेन्द्रसिंह जी सृजन आपकी मधुर प्रतिक्रिया का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on August 24, 2018 at 3:33pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब। ... सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार। आपको सपरिवार ईद मुबारक।

Comment by Sushil Sarna on August 24, 2018 at 3:32pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति आपकी मधुर प्रशंसा की आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on August 24, 2018 at 3:32pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब, आदाब .... सृजन के भावों पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार। आपको सपरिवार ईद मुबारक।

Comment by Sushil Sarna on August 24, 2018 at 3:32pm

आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी सृजन को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on August 24, 2018 at 3:31pm

आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का आभारी है।

Comment by narendrasinh chauhan on August 23, 2018 at 7:03pm
सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई
Comment by Samar kabeer on August 23, 2018 at 2:55pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत उम्दा कविता हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
8 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service