For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुष्ठु दुनिया(लघुकथा)

 "ऑफ़ ओह! शीला मैं तो तंग आ गया हूँ, तुम्हारे हाथ में चौबीसों घण्टे मोबाइल को देखकर।" शीला अपनी धुन में थी, नित्यक्रम से निबट कर टी.वी. के आगे अपना मनपसन्द सीरियल देख रही थी और साथ में उसकी उँगलियॉ मोबाइल पर लगातार चल रही थी। शीला की सास, और ससुर जी भी वहीं बैठे हुए थे। वे तपाक से बोले," शेखर की माँ! मुझे तुम्हारी जवानी याद आ रही है...।" शीला के कान चौकन्ने हो गये, वह उनकी तरफ देख रही थी। ससुर जी उसके देखने का आशय समझ गये; उन्होंने कहा,"अरे उस ज़माने में यह मुआ मोबाइल -शोबाइल नहीं था, तुम्हारी सास स्वेटर बुना करती थी, दिन भर सुइयाँ चलती थी इसके हाथ में।" वह जिस अंदाज़ से बखान कर रहे थे, कमरे ठहाकों से गूंज गया।तभी मोबाइल की घण्टी बजी। अबकी बार शेखर की बारी थी, वह उठकर दूसरे कमरे में चला गया। शीला ने अपने सास से कहा," मम्मी जी! आप शेखर से तो कुछ नही कहतीं, उनका फोन भी तो दिन भर आता है। आप जब देखो...।" शेखर लौट कर आ रहा था इसी कमरे में जहाँ सब बैठे हुए थे, उसने शीला की बातें सुन ली थी, क्रोध से वह बोला, अच्छा तो मेरी शिकायत कर रही हो... तुम जानती भी हो मोबाइल से मैं बिसिनेस की बात करता हूँ, क्लाइंट्स हों या व्यापारी सब से इसी पर बात होती है... लो मैं रख देता हूँ इसको...कल से तुम संभालो बिजिनेस...।" मोबाइल पटक कर वह अपने कमरे में चला गया और दरवाज़ा धम्म से बन्द कर दिया। मामला गम्भीर हो चला था। सास-ससुर चुप-चाप अपने कमरे में चले गए। शीला अब अकेली रह गयी थीं। यूँ भी रात हो गयी थी सोने का समय हो गया था, वह दोनों मोबाइल लेकर अपने कमरे में चली गयी। शेखर करवट बदल कर सो चूका था। शीला ने दोनों मोबाइल को चार्जिंग पर लगाया और उसने भी करवट बदल ली, शायद सोने का प्रयास कर रही थीं। पति-पत्नी अलग दिशाओं में चेहरा करे सो रहे थे, परन्तु मोबाइल बिस्तर पर चार्ज हो रहे थे, उनकी मद्दी रौशनी मानो शेखर और शीला का उपहास उड़ा रही थी।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 828

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neelam Upadhyaya on August 6, 2018 at 4:44pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी ।  आज की यही वास्तविकता हो कर रह गयी  है ।   सामाजिक मेल मिलाप एवं संवाद  के नाम पर मोबाइल ही रह गया है ।     बहुत ही बढ़िया व्यंगात्मक लघुकथा की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service