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बातें  ... 

लम्हों की आग़ोश में
नशीली सी रातों की
शीरीं से अल्फ़ाज़ की
महकती बातें

बे हिज़ाब रातों की
शोख़ी भरी शरारतों की
तन्हाई में भीगी
बरसाती बातें

आँखों के सागर में
जज़्बात की कश्ती में
यादों के साहिल पे
सुलगती बातें

जिस्म की पनाहों में
अनदेखी राहों में
दिल की गुफ़ाओं में
बहकती बातें

मोहब्बत के मौसम में
आँखों की शबनम में
ग़ज़ल की करवटों में
उफ़नती बातें

आर्ज़ू के लिबास में
तिश्ना लबों की प्यास में
लम्स से बतियाती
वो मदमाती बातें

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Sushil Sarna on June 25, 2018 at 3:12pm

आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब ... प्रस्तुति पर आपकी आत्मीय प्रशंसा एवं अमूल्य राय का शुक्रिया। अभी संशोधित करता हूँ।

Comment by Sushil Sarna on June 25, 2018 at 3:12pm

आदरणीय महेंद्र कुमार जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया प्रतिक्रिया का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on June 25, 2018 at 3:11pm

आदरणीय नरेंद्र चौहान जी सृजन मधुर प्रशंसा दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on June 25, 2018 at 3:11pm

आदरणीय मो. आरिफ साहिब सृजन को आत्मीय मान देने का दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on June 25, 2018 at 3:11pm

आदरणीया नीलम उपाध्याय जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on June 25, 2018 at 3:11pm

आदरणीय बसंत कुमार जी सृजन को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on June 25, 2018 at 3:10pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी प्रस्तुति आपकी मधुर प्रतिक्रिया की आभारी है।

Comment by Samar kabeer on June 22, 2018 at 6:31pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी कविता लिखी आपने,इस् प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

'आगोश' को "आग़ोश" कर लें ।

'अल्फ़ाज़ों' को "अल्फ़ाज़" कर लें ।

'बे-हिज़ाब' को "बे हिजाब" कर लें ।

'तिश्नागरों' को "तिश्ना लबों" कर लें ।

Comment by Mahendra Kumar on June 22, 2018 at 3:53pm

सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत-बहुत बधाई। सादर। 

Comment by narendrasinh chauhan on June 22, 2018 at 12:18pm

खुब सुन्दर रचना

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