For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बरसात ....

मेघों की गर्जना
चपला की अटखेलियां
फुहारों में भीगी तेज हवाएँ
वातायन के पटों का शोर
करवटों की रात
लो फिर आ गई
वस्ल की यादें लिए
फिर
आज बरसात

वो चेहरे से उसका
बूंदे हटाना
लटें सुलझाना
हौले से मुस्कुराना
सच कहाँ भूलेगी
वो शर्मीली सी बात
कि याद ले आई
फिर
आज बरसात

बारिश की बूंदों की
अजब सी अगन
स्पर्शों की आहट से
घबराया मन
न और हां की हो गयी साज़िश
समर्पण के भावों की हो गई बारिश
ले आई आज फिर
करीब तुझको मेरे
बुझती नहीं है आतिश ये दिल की
करने लगी ताज़ा
रुख़सत के लम्हे
रुला गई आँखों को
फिर
आज बरसात


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 635

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on June 21, 2018 at 1:06pm

आदरणीय विजय निकोर साहिब सृजन आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on June 21, 2018 at 1:06pm

आदरणीय तस्दीक अहमद ख़ान साहिब , आदाब ... सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। सर आपको सपरिवार ईद मुबारक. बिलम्ब के लिए क्षमा।

Comment by Sushil Sarna on June 21, 2018 at 1:05pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... प्रस्तुति के भावों को अपनी आत्मीय प्रशंसा से अलंकृत करने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on June 21, 2018 at 1:05pm

आदरणीया नीलम उपाध्याय जी सृजन आपकी मन मुदित करती प्रशंसा का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on June 21, 2018 at 1:05pm

आदरणीया रक्षिता सिंह जी सृजन की गहनता को अपनी स्नेहिल प्रशंसा से मान देने का दिल से आभार।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 19, 2018 at 7:01pm

जनाब सुशील सरना साहिब, बरसात के मौसम के स्वागत में सुन्दर कविता हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं |

Comment by Samar kabeer on June 17, 2018 at 12:05pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,बारिश के मौसम के स्वागत में अच्छी कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Neelam Upadhyaya on June 16, 2018 at 6:23pm

आदरणीय सुशिल सरना जी। सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।

Comment by रक्षिता सिंह on June 15, 2018 at 10:09pm

आदरणीय सुशील जी,

शब्दों की बौछारों से मन को भिगो देने वाली बहुत ही सुन्दर रचना । बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आदरणीय नीलेश नूर भाई, आपकी प्रस्तुति की रदीफ निराली है. आपने शेरों को खूब निकाला और सँभाला भी है.…"
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहों पर दोहे लिखे, दिया सृजन को मान। रचना की मिथिलेश जी, खूब बढ़ाई शान।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service