For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : कुत्तों से सिंह मात जो खाएँ तो क्या करें.

ग़ज़ल : कुत्तों से सिंह मात जो खाएँ तो क्या करें.

बहने लगी हैं उल्टी हवाएँ तो क्या करें.

कुत्तों से सिंह मात जो खाएँ तो क्या करें.

 

वो ही लिखा है मैंने जो अच्छा लगा मुझे.

नासेह सर को अपने खपाएँ तो क्या करें.

 

जल्लाद हाथ में जब खंजर उठा चुका.

खौफे अजल न तब भी सताएँ तो क्या करें.

 

इल्मे-अरूज पर  पढ़ कर के लफ़्ज चार.   .

खारिज बहर ग़ज़ल को बताएँ तो क्या करें.

 

कह तो रहें आप कि रंजिश नहीं मगर.  

तेवर न आपके ये  जताएँ तो क्या करें.

 

उड़-उड़ तुम्हारी जुल्फ़ मचाती रही ग़दर.

डर-डर घटाएँ आँसू बहाएँ तो क्या करें.

 

हिन्दोस्तां है होश जरूरी तो जोश में.

बेबात जोश लोग दिखाएँ तो क्या करें.

गंगा धर शर्मा ' हिन्दुस्तान'

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 380

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 1, 2018 at 8:25pm

हार्दिक बधाई..

Comment by नाथ सोनांचली on February 27, 2018 at 8:04pm

आद0 गंगाधर जी सादर अभिवादन। बढिया ग़ज़ल का प्रयास और आद0 समर साहब की इस्लाह के बाद और निखर गयी है। बहुत बहुत बधाई आपको। सादर

Comment by Samar kabeer on February 26, 2018 at 10:07pm

जनाब गंगा धर शर्मा 'हिन्दोस्तान' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

मतला अच्छा लगा ।

दूसरे शैर के सानी मिसरे में 'नासेह'221 ग़लत है,सही शब्द है "नासिह"22,इसलिये सानी मिसरा यूँ कर लें तो उचित होगा:-

'आक़िल अब अपने सर को खपाएँ तो क्या करें'

'जल्लाद हाथ में जब ख़ंजर उठा चुका

ख़ौफ़े अजल न तब भी सताएँ तो क्या करें'

इस शैर के ऊला मिसरे की लय भंग है, और सानी मिसरे में 'ख़ौफ़े अजल' एक वचन है और क़ाफ़िया 'सताएँ' बहुवचन है, इस शैर को उचित लगे तो यूँ कर लें :-

'जल्लाद अपने हाथ में ख़ंजर उठा चुका

इस वक़्त भी वो ख़ौफ़ न खाएँ तो क्या करें'

'इल्मे-अरुज पर पद कर के लफ़्ज़ चार

ख़ारिज बहर ग़ज़ल को बताएँ तो क्या करें'

इस शैर के ऊला मिसरे की लय भंग है, और सानी मिसरे में 'बहर'ग़लत है सही शब्द है "बह्र",अगर आपको उचित लगे तो इस शैर को यूँ कर लें :-

'पढ़ कर के चार लफ़्ज़ वो इल्मे अरूज़ के

ख़ारिज ग़ज़ल की बह्र बताएँ तो क्या करें'

वैसे ये व्यंग आपने किस पर किया है,बता सकते हैं?

'कह तो रहें आप कि रंजिश नहीं मगर'

ये मिसरा बह्र से ख़ारिज है, इसे यूँ कर सकते हैं :-

'कह तो रहे हैं आप कि रंजिश नहीं मगर'

'डर-डर घटाएँ आँसू बहाएँ तो क्या करें'

व्याकरण की दृष्टि से ये मिसरा यूँ होना चाहिए:-

'डर कर घटाएँ अश्क बहाएँ तो क्या करें'

मक़्ता ठीक है ।

मंच के नियमानुसार आपने ग़ज़ल के साथ अरकान नहीं लिखे हैं?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service