For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धीरे धीरे सभी जुटने लगे थे, नजदीक के रिश्तेदार भी लगभग आ गए थे| उनके मोबाइल पर लगातार बेटे का फोन आ रहा था कि बस पहुँच रहे हैं माँ के अंतिम दर्शन करने के लिए| आंगन में विभा का शरीर सफ़ेद कपड़े में लपेट कर रखा हुआ था और ऐसा लग रहा था जैसे वह हमेशा से ऐसी ही शांति में जी रही थी| उन्होंने एक बार फिर समय देखा और पड़ोसियों और रिश्तेदारों के साथ चुपचाप बैठ गए|
बाहर गाड़ियों की आवाज़ आयी और फिर थोड़ी देर में रोने धोने की आवाज़ भी आने लगी| बेटा परिवार सहित अंदर आया और फिर उनका विलाप शुरू हो गया| उनको यह सब अस्वाभाविक लग रहा था और वह उठ कर बाहर आ गए| थोड़ी देर में ही बेटा बाहर आया और बोला "माँ का क्रियाकर्म अच्छे से करेंगे हम लोग, आप चिंता मत कीजियेगा" और वापस अंदर चला गया|
उनको याद आया, कभी विभा को डॉक्टर के पास ले जाने के लिए बेटे के पास समय नहीं था| लेकिन आज सब कुछ अच्छे से करेंगे की बात ने जैसे उनके ज़ख्म कुरेद दिए| लोगों के कहने पर वह उठे और अंदर आखिरी विदाई की तैयारी में लग गए| उनका दिल बहुत भरा हुआ था और मन में बहुत कुछ उमड़ घुमड़ रहा था| बेटे की अभी की तत्परता देखकर उनके मन में क्रोध आता जा रहा था तभी पोते ने आकर कहा "दादाजी, दादी क्या अब कभी नहीं आएँगी, पापा कितने उदास हैं उनके लिए"|
उन्होंने एक बार बेटे की तरफ देखा और फिर पोते को| कुछ देर पहले का क्रोध जैसे अब हवा हो गया और उसका चेहरा सहलाते हुए बोले "आखिर दादी तुम्हारे पापा की माँ थीं"| फिर मन ही मन बुदबुदाते हुए कि "तुम भी तो यह नहीं चाहती कि मैं पोते के भरोसे को तोडूं", वह चुपचाप खड़े होकर बेटे को सब कुछ करता देखने लगे|
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 508

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on January 15, 2018 at 11:22am

इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आ मुहतरम समर कबीर साहब

Comment by विनय कुमार on January 15, 2018 at 11:22am

इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आ महेंद्र कुमार जी

Comment by विनय कुमार on January 15, 2018 at 11:22am

इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आ सुरेंद्र नाथ सिंह जी

Comment by विनय कुमार on January 15, 2018 at 11:21am

इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आ कल्पना भट्ट जी

Comment by विनय कुमार on January 15, 2018 at 11:21am

इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आ अजय तिवारी साहब

Comment by Mahendra Kumar on January 15, 2018 at 10:28am

बढ़िया लघुकथा है आ. विनय जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by नाथ सोनांचली on January 15, 2018 at 6:12am

आद0 विनय कुमार जी सादर अभिवादन।बढिया लघुकथा है,मार्मिक।बहुत बहुत बधाई इसपर।

Comment by Samar kabeer on January 14, 2018 at 12:26pm

जनाब विनय कुमार जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 13, 2018 at 8:24pm

हृदय स्पर्शी लघुकथा कही है आपने आदरणीय विनय सर| बधाई स्वीकारें आदरणीय|

Comment by Ajay Tiwari on January 13, 2018 at 6:35pm

आदरणीय विनय जी, असाधारण सादगी के साथ आपके गद्य में असाधारण अभिव्यंजना की क्षमता भी है. कथा बहुत स्पर्शी है.हार्दिक बधाई. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
1 hour ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service